पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (PNGRB) ने जयपुर और उदयपुर में वाहनों के लिये सीएनजी की खुदरा बिक्री तथा घरों में पाइप के जरिये प्राकृतिक गैस की आपूर्ति के लिये अडाणी गैस लिमिटेड का आवेदन निरस्त कर दिया है। नियामक ने कहा है कि कंपनी का आवेदन लाइसेंस के लिये जरूरी नियमन का पालन नहीं करती है। बोर्ड ने 28 फरवरी को दिये आदेश में अडाणी का आवेदन निरस्त करने का कारण बताया। बोर्ड ने कहा कि अडाणी गैस न्यूनतम पात्रता की शर्तों पर खरा उतरती है, लेकिन उसने निवेश प्रतिबद्धता तथा दोनों शहरों में शहरी गैस वितरण (सीजीडी) नेटवर्क के विस्तार की जरूरतों को पूरा नहीं किया। PNGRB ने अपने आदेश में बताया है ‘सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने विचार-विमर्श और विश्लेषण कर अडानी गैस लिमिटेड के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।’

राजस्थान सरकार ने नवंबर, 2005 में जयपुर और उदयपुर शहरों में सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (CGD) के लिए आवेदन मांगे थे। जिसमें अडानी गैस लिमिटेड ने इसके लिए आवेदन किया। 20 मार्च, 2006 को राज्य सरकार ने कंपनी को कुछ शर्तों पर एनओसी दे दिया। इसी दौरान अडानी गैस लिमिटेड ने कमिटमेंट फीस के 2 करोड़ रुपए भी जमा कर दिए। इसी बीच साल 2007 में केन्द्र सरकार ने रेगुलेटर संस्था PNGRB का गठन कर दिया। 31 मार्च, 2008 को PNGRB ने अडानी गैस लिमिटेड को नोटिस जारी कर दिया।

18 मई, 2011 को राजस्थान सरकार ने अडानी गैस लिमिटेड को दी गई एनओसी वापस ले ली और PNGRB ने अडानी की कंपनी के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया। कंपनी ने PNGRB के इस फैसले को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने अडानी गैस लिमिटेड की याचिका को खारिज कर दिया। जिसके बाद कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी, 2019 को दिए अपने फैसले में PNGRB को 4 हफ्ते में इस मामले में नया फैसला लेने का आदेश दिया। अब PNGRB ने अपने ताजा फैसले में कहा है कि कंपनी न्यूनतम योग्यता को पूरा करती है, लेकिन निवेश प्रतिबद्धता और सीजीडी नेटवर्क के विस्तार की शर्त को पूरा नहीं करती है।