मोदी सरकार की राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना अमेठी में पूरी तरह से भ्रष्टाचार की चपेट में है। इसका लाभ गरीबों को मिलने के बजाय गल्ला माफियाओं की जेब में जा रहा है। फरवरी से अब तक करीब एक अरब रुपए का सरकारी अनाज आ चुका है। मगर सरकारी राशन गरीबों के घर में आने के बजाय बंगाल बिहार और नेपाल जा रहा है। अमेठी में बीस लाख की आबादी में तीन लाख नौ हजार आठ सौ छह कार्डधारक हैं। इसमें 70378 अंत्योदय कार्ड धारक है बाकी सभी पात्र गृहस्थी से जुड़े हैं। इनमें 90 फीसद कार्ड धारक पिछले चार महीने से सरकारी राशन से वंचित हैं। खाद्य एवं रसद मंत्रालय गरीबों के लिए सबसिडी मुहैया कराता है। इसमें गरीबों को सस्ती दर पर गेहूं और दो रुपए किलो की दर से चावल दिया जाता है। खाद्य मंत्रालय प्रत्येक यूनिट पर 5 किलो राशन मुहैया कराता है। प्रत्येक कार्ड धारक को सस्ती दर पर दो किलो चीनी भी आवंटित की जाती है। लेकिन चीनी का वितरण तो पिछले 10 सालों से कागज पर किया जा रहा है।

सरकारी राशन मुहैया कराने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर कोटेदारों को रखा गया है। इनकी निगरानी के लिए तहसील स्तर पर पूर्ति निरीक्षक तैनात हैं। इसके बाद लेखपाल, कानूनगो, तहसीलदार, एसडीएम, एडीएम और डीएम की निगरानी होती है। फिर ग्राम विकास अधिकारी, खंड विकास अधिकारी और ग्राम प्रधान भी हंै। लेकिन कोटेदार नीचे से ऊपर तक सबको खुश रखता है। उत्तर प्रदेश में 28 फरवरी से बीपीएल योजना बंद हो गई है। अब इसकी जगह पर पात्र गृहस्थी योजना लागू की गई है। इस योजना में पिछले चार महीने का सरकारी राशन कोटेदार उठा चुके हैं लेकिन वितरण के नाम पर मात्र कागजी काम है। जनता रोजाना धरना और प्रदर्शन कर रही है। लेकिन अधिकारी जांच पड़ताल की बात कहकर मामले को रफा-दफा कर देते हैं। सरकारी राशन के आवंटन के आकड़ों में प्रतिमाह करीब दस करोड़ रुपए का माल अमेठी में आता है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के खाद्यान्न आवंटन में जून महीने के लिए पात्र गृहस्थी के नाम पर गेहूं 3629.790 क्विंटल, चावल 1555.620 क्विंटल, चीनी 344.950 क्विंटल का आवंटन कोटेदारों को दिया गया है। इसके बाद अंत्योदय योजना में गेहूं 703.780 क्विंटल और चावल 1759.450 क्विंटल का आवंटन किया गया है। इसी अनुपात में कोटेदारों ने फरवरी से अब तक खाद्यान्न का उठान किया है। पात्र गृहस्थी योजना के नाम पर सरकारी राशन का आवंटन फरवरी 2016 से किया जा रहा है। यह आवंटन हर महीने होता है। जिला पूर्ति अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक महीने करीब बीस करोड़ रुपए का सरकारी राशन यहां की जनता के लिए आता है मगर योजना नई है जिससे परेशानी होना वाजिब है। जंगलरामनगर के कोटेदार रामलखन पिछले चार महीने में करीब पांच सौ क्विंटल सरकारी राशन उठा चुके हैं लेकिन वितरण के नाम पर जनता के हाथ खाली हैं। इनके खिलाफ अब तक तीन सौ से ज्यादा शिकायतें मिल चुकी हैं। लेकिन कोटेदारों को किसी का डर नहीं है।

अमेठी के जिलाधिकारी चंद्रकांत पांडेय ने कहा कि घपला करने वाले कोटेदारों से अनाज की भरपाई का फरमान जारी किया गया है। अमेठी के कोटेदार सत्तापक्ष के नेताओं के लिए एटीएम कार्ड की तरह हैं। इसी एटीएम कार्ड से नेताओं की सभाएं और रैलियां कराई जाती हैं। उत्तर प्रदेश में खाद्यान्न घोटाला नई बात नहीं है। सीबीआइ पिछले दस सालों से घपले की जांच में जुटी है मगर गल्ला माफिया आज भी सीबीआइ की पकड़ से दूर हैं। यही गल्ला माफिया कोटेदारों को बीच का मुनाफा देकर सरकारी गोदाम से राशन उठाकर बंगाल और नेपाल को बेच देते हैं।