उत्‍तर प्रदेश के वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद पर चल रहे विवाद और परिसर के अंदर शिवलिंग की मौजूदगी के दावों के बीच एक नया मामला सामने आया है। एक वकील ने अब मथुरा की एक अदालत में मुकदमा दायर कर दावा किया है कि ठाकुर केशव देव की मूर्ति आगरा किले में दीवान-ए-खास के पास एक मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी हुई है।

वकील महेंद्र प्रताप ने नया वाद दाखिल करने के लिए कोर्ट को प्रार्थना पत्र दिया है। इसमें दावा किया गया है कि मथुरा के ठाकुर कृष्ण देव की मूर्ति जन्मभूमि से संबंधित है। इसको आगरा के लाल किले के भीतर बने दीवाने खास के पास बेगम साहिबा की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया गया है।

प्रार्थना पत्र में किए गए दावे की पुष्टि करने के लिए औरंगजेब के मुख्य दरबारी साखी मुस्तेक खान की लिखी किताब ई-आलम गिरी का हवाला दिया गया है। अधिवक्ता ने लाल किले में बेगम साहिबा की सीढ़ियों का सर्वे कराकर मूर्ति निकलवाने का निवेदन किया है। अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने यह वाद सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में दायर की है। साथ ही आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के जनरल डायरेक्टर, अधीक्षक आगरा और केंद्रीय सचिव को पार्टी बनाने की मांग की गई है।

अधिवक्ता ने यह भी दावा किया है कि केशव देव की प्रतिमा लगभग 500-700 वर्ष पुरानी है। मुगल आक्रांता औरंगजेब के कहने के बाद 1670 में प्रतिमा को उखाड़कर आगरा ले जाया गया था। उसे मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दवा दिया गया था। उन्होंने कहा कि इससे हिंदू समुदाय की आस्था को ठेस पहुंच रही है।

इसी तरह की एक याचिका में, 2021 में, आगरा किला परिसर के भीतर देवता का पता लगाने के लिए अदालत से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को निर्देश देने की मांग की गई थी। उस मामले में याचिका में 17वीं सदी की शाही मस्जिद को कटरा केशव देव मंदिर से स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।