Pulwama Attack के बाद जम्मू कश्मीर में काफी कुछ बदल गया है। सुरक्षा बलों के जवानों को हुई भारी क्षति के बाद सरकार ने कई सख्ती भरे कदम उठाए। पाकिस्तान से तरजीही देश का दर्जा हटाने के साथ-साथ केंद्र सरकार ने अलगाववादी नेताओं समेत कई अन्य नेताओें मुहैया कराई गई सुरक्षा भी वापस ले ली। पीडीपी लीडर वहीद उर्र रहमान ने सुरक्षा हटाने को लेकर कहा कि सुरक्षा हटाना का मकसद कश्मीर में राजनीतिक गतिविधियों को रोकना और नेताओं की जान जोखिम में डालना है। हमने कई नेताओं की हत्या होती देखी है। लोगों की जान भी खतरे में है।
बता दें कि केंद्र सरकार ने हुर्रियत के 18 नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली है।आतंकी हमले के बाद चार अलगाववादियों की सुरक्षा पहले ही वापस ले ली गई है, जिनमें मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी बट्ट, बिलाल लोन और शब्बीर शाह शामिल हैं। गृह मंत्रालय की तरफ से इस संबंध में एडवाइजरी जारी कर दी गई है। हुर्रियत नेताओं के साथ-साथ ही राज्य के 155 राजनेताओं की सुरक्षा में बदलाव किया गया है।
इन नेताओं की हटाई सुरक्षाः हुर्रियत के जिन नेताओं की सुरक्षा हटाई गई उनमें सैयद अली शाह गिलानी, आगा सैयद मोसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, जफर अकबर भट, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शहीद उल इस्लाम, फारूक अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, नईम अहमद खान, मुख्तार अहमद वाजा, आगा सैयद अबुल हुसैन, अब्दुल गनी शाह और मोहम्मद मुसद्दिक भट शामिल हैं।
शाह फैसल की सुरक्षा में भी बदलाव : हाल ही में आईएस परीक्षा के टॉपर शाह फैसल ने IAS से इस्तीफा देकर राजनीति में कदम रखा है। उन्होंने नेशन कॉफ्रेंस ज्वाइन की थी। बता दें कि इन नेताओं की सुरक्षा में 1000 से ज्यादा पुलिसकर्मी और कई सरकारी गाड़ियां लगी हुई थीं। जम्मू कश्मीर के पुलवामा के अवंतिपुरा में हुए हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे जबकि कई अन्य घायल हो गए थे। इस फिदायीन हमले की जिम्मेदारी जैश ए मोहम्मद ने ली थी।

