उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में इस बार भाजपा ने भुवन चंद्र खंडूड़ी का टिकट काटकर उनके राजनीतिक शिष्य तीरथ सिंह रावत को, वहीं कांग्रेस ने दांव खेलते हुए खंडूड़ी के बेटे मनीष खंडूड़ी को चुनाव मैदान में उतारा है। मनीष के कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने से उनके पिता भुवन चंद्र खंडूड़ी और यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र से विधायक उनकी बहन ऋतु खंडूड़ी असहज स्थिति में है। खंडूड़ी चुप्पी साधे हुए हैं और वे न तो बेटे का प्रचार कर रहे हैं और न ही शिष्य भाजपा उम्मीदवार तीरथ सिंह रावत का। खंडूड़ी ने भाजपा भी नहीं छोड़ी है। उनकी रहस्यमयी चुप्पी भाजपा के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। जबकि तीरथ सिंह रावत और मनीष खंडूड़ी दोनों भुवन चंद्र खंडूड़ी का आशीर्वाद हासिल होने का दावा कर रहे हैं।
पांच जिलों में फैला संसदीय क्षेत्र: पौड़ी गढ़वाल का संसदीय क्षेत्र पांच जिलों पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी और नैनीताल जिलों में फैला है। चुनाव मैदान में उतरने वाले उम्मीदवारों को चुनाव जीतने के लिए देश के आखिरी गांव माणा से लेकर राजाजी नेशनल पार्क के द्वार चीला तक का सफर तय करना पड़ता है। 16960.77 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में यह संसदीय क्षेत्र फैला हुआ है। इस संसदीय क्षेत्र की 14 विधानसभाओं में से छह विधानसभाएं श्रीनगर, कोटद्वार, पौड़ी, चौबट्टाखाल, यमकेश्वर और लैंसडोन पौड़ी जिले में, तीन विधानसभा क्षेत्र बद्रीनाथ, कर्णप्रयाग और थराली चमोली जिले में, दो विधानसभा रुद्रप्रयाग और केदारनाथ रुद्रप्रयाग जिले में, दो विधानसभा क्षेत्र नरेंद्रनगर और देवप्रयाग टिहरी जिले में तथा एक विधानसभा क्षेत्र रामनगर नैनीताल जिले में शामिल है। इस संसदीय क्षेत्र में उत्तराखंड के चार धामों में से दो धाम केदारनाथ और बद्रीनाथ तथा सिखों का प्रमुख केंद्र हेमकुंड साहिब स्थित है और यह सैन्य बहुल्य इलाका है।
13 लाख से ज्यादा मतदाता : हिन्दू आबादी करीब 86 फीसद, मुसलिम आबादी 7 फीसद, 4 फीसद सिख, 2 फीसद ईसाई और 1 फीसद बौद्ध और जैन हैं। पौड़ी गढ़वाल में 13 लाख 55 हजार 776 मतदाता हैं। इनमें पुरुष 6 लाख 74 हजार 632, महिला 6 लाख 46 हजार 688 तथा 23 किन्नर मतदाता हैं। 37 साल कांग्रेस का कब्जा: भौगोलिक विषमताओं वाली इस सीट पर आजादी के बाद 37 सालों तक कांग्रेस का कब्जा रहा और 23 साल तक भाजपा का इस सीट पर दबदबा रहा। 1951 से 1977 तक यह सीट कांग्रेस के कब्जे में थी। 1971 तक लगातार चार बार कांग्रेस नेता भक्त दर्शन यहां से सांसद चुने जाते रहे। 1971 में कांग्रेस के ही प्रताप सिंह नेगी संसद सदस्य चुने गए। 1977 में जनता पार्टी की लहर में पार्टी उम्मीदवार जगन्नाथ शर्मा जीत गए।
बहुगुणा के भांजे भुवन चंद्र का रहा दबदबा: 1991 में बहुगुणा की राजनीतिक विरासत उनके भांजे रिटायर्ड फौजी अफसर भुवन चंद्र खंडूड़ी ने थामी और भाजपा ने उन्हें 1991 का लोकसभा चुनाव लड़वाया और वे जीते। इसके बाद खंडूड़ी ने 11वीं, 12वीं, 13वीं और 14वीं लोकसभा के चुनाव में लगातार जीत पाई।
1994 में खंडूड़ी तिवारी कांग्रेस के उम्मीदवार सतपाल महाराज से चुनाव हारे। 1999 में खंडूड़ी भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते खंडूड़ी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने और स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क योजना को लेकर पूरे देश में उनका नाम हुआ। 2007 में खंडूड़ी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने और उन्होंने टीपीएस रावत को इस सीट पर चुनाव लड़वाया और उन्होंने कांग्रेस के सतपाल महाराज को शिकस्त दी। 2009 में सतपाल महाराज ने इस सीट पर फिर से जीत पाई। 2014 में मोदी लहर के कारण भुवन चंद्र खंडूड़ी ने छठी बार जीत हासिल की।
मुझे राजनीतिक गुरु भुवन चंद्र खंडूड़ी का आशीर्वाद प्राप्त है। बीमारी के कारण वे जनता के बीच नहीं आ पा रहे हैं। वे पार्टी के प्रति पूरी तरह निष्ठावान और समर्पित हैं। खंडूड़ी जी पर संदेह किया जाना खुद पर संदेह करने जैसा है। पौड़ी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र मेरा घर है। नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनें यह मेरी इच्छा है। इसी मुद्दे पर मैं क्षेत्र की जनता से वोट मांग रहा हूं। -तीरथ सिंह रावत , भाजपा के उम्मीदवार
मुझे राजनीति में पिता की एक बड़ी विरासत मिली है। मेरे पिता का नाम बहुत बड़ा नाम है। राज्य ही नही पूरे देश में उनका नाम सम्मान से लिया जाता है और इसका फायदा मुझे चुनाव में मिलेगा। मुझे पिता का आशीर्वाद मिला हुआ है। भाजपा ने पिता का अपमान किया। इस सीट पर पिता का विराट व्यक्तित्व उनकी जीत की राह आसान करेगा। मैंने पिता की आंखों में सिर्फ दो बार आंसू देखे। पहली बार जब मेरी बहन की शादी की डोली विदा हुई थी और दूसरी बार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें संसदीय रक्षा समिति के अध्यक्ष पद से हटाया था। – मनीष खंडूड़ी , कांग्रेस के उम्मीदवार
तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड राज्य बनने से पहले उत्तरप्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे और 2002 में उत्तराखंड की नित्यानंद स्वामी की अंतरिम सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री रहे। 2002 के विधानसभा चुनाव में हार गए। 2017 में उनकी जगह चौबट्टाखाल विधानसभा क्षेत्र से सतपाल महाराज को टिकट दिया और रावत को राष्ट्रीय सचिव बनाया गया। रावत उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष भी रहे। पिछले दिनों राहुल गांधी की मौजूदगी में चुनावी सभा में मनीष खंडूड़ी कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्होंने 1991 के लोकसभा चुनाव में अपने पिता के चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी बखूबी निभाई थी। वे इस क्षेत्र से गहराई से जुड़े हुए हैं। उन्हें अपने पिता के आधार का लाभ मिलने की उम्मीद है।
