उत्तर प्रदेश के चुनाव में अभी भले ही करीब 2 साल का समय बचा हो लेकिन चुनावी समर की तैयारी शुरू हो गई है। प्रदेश की मुख्य विपक्ष समाजवादी पार्टी ने वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए दांव चलना शुरू कर दिया है। आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सपा पसमांदा मुसलमानों तक मजबूत पहुंच बनाने की तैयारी में है। इसको लेकर सपा एक जुलाई से एक साल तक अभियान चलाएगी। जिसके तहत पूरे प्रदेश में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
मुसलमानों में सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के समुदाय का एक बड़ा हिस्सा पसमांदा हैं। सपा के एक नेता की मानें तो उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की 48 जातियों के लगभग 85% मुसलमान पसमांदा समूहों से हैं। शेष 15% शेख, सैयद, मुगल और पठान समुदायों से हैं। जिन्हें उच्च जाति का मुसलमान माना जाता हैं। सपा यूपी में मुसलमानों को अपने बड़े वोट बैंकों में से एक मानती आई है।
सपा के अभियान की रूपरेखा और संरचना इस महीने की शुरुआत में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और पसमांदा समाज के नेताओं की बैठक में तैयार की गई थी। इससे एक दिन पहले पार्टी की अल्पसंख्यक शाखा समाजवादी अल्पसंख्यक सभा ने भी बैठक की थी। सपा सूत्रों द्वारा बताया गया है कि इस अभियान के तहत पार्टी सबसे पहले राज्य के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में पसमांदा मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के साथ बैठक करेगी। इसके बाद जिला स्तरीय सम्मेलन होंगे, जिसका समापन 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले एक प्रदेश स्तरीय जनसभा के रूप में होगा।
सपा ने पसमांदा को हिस्सेदारी देने का किया वादा
सपा के राष्ट्रीय सचिव अनीस मंसूरी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सपा वास्तव में पसमांदा समाज को “सशक्त” करेगी। मंसूरी ने कहा, “इन बैठकों और सम्मेलनों में हम पसमांदा समुदाय को समझाएंगे कि उन्हें बीजेपी के जाल में फंसना नहीं है। बीजेपी केवल वोट के लिए समुदाय की चिंता दिखाती है। उनके सशक्तिकरण के लिए बीजेपी कुछ नहीं करती है, जब पार्टी राज्य की सत्ता में आएगी तो पसमांदा समुदाय का सपा के संगठन और सरकार में हिस्सा होगा।”
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मंसूरी ने कहा कि भाजपा पसमांदा समुदाय को अपने पक्ष में करने के प्रयास मुस्लिम वोटों को बांटने के लिए हैं, जिससे सपा को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा, “हमारी आशंका यह है कि अगर पसमांदा समुदाय भाजपा को वोट देता है, तो इससे मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा कट जाएगा। मुसलमान और यादव सपा के मुख्य मतदाता हैं… अखिलेश जी ने हमें आश्वासन दिया है कि अगर सपा सत्ता में आती है तो पसमांदा समुदाय की सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।” सपा इस अभियान को अपने पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) फॉर्मूले के तहत चला रही है। पसमांदा नेताओं के साथ बैठक के बाद जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि सपा इस समुदाय को ‘राजनीतिक सम्मान’ देगी।
2022 में बीजेपी को मिले थे 8 प्रतिशत वोट
साल 2022 से ही बीजेपी पसमांदा समुदाय में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। उस साल जुलाई में हैदराबाद में आयोजित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सम्मेलन में अपने भाषण में मोदी ने पार्टी से सभी समुदायों के “वंचित और दलित” वर्गों तक पहुंचने के लिए कहा। यूपी भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, इसकी गणना से पता चला है कि उस साल विधानसभा चुनावों में समुदाय के अनुमानित 8% मतदाताओं ने पार्टी का समर्थन किया था, भले ही सपा का अन्य ओबीसी-आधारित क्षेत्रीय दलों के साथ मजबूत गठबंधन था।
तब से, पसमांदा मुसलमान भाजपा की अनेक पहलों का विषय रहे हैं, जिनमें सम्मेलनों और स्नेह यात्राओं से लेकर बुद्धिजीवियों के साथ बैठक शामिल हैं। सपा के अभियान पर प्रतिक्रिया देते हुए यूपी भाजपा के अल्पसंख्यक विंग के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने कहा: “सपा मुस्लिम वोट पाने के भाजपा के प्रयासों से डरी हुई है। मुसलमान अब अपने विकास और तरक्की के लिए बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं।”