अनुसूचित जाति, जनजाति बहुल आबादी वाले क्षेत्रों में सांसद निधि की राशि अपेक्षित मात्रा में खर्च नहीं होने पर संसद की एक समिति ने चिंता जताई है। उसने कहा कि मंत्रालय को उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों के लिए संसद निधि के व्यय को वार्षिक आधार पर संकलित और सुमेलित करना चाहिए।
संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना पर सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय पर लोक लेखा समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति यह नोट करके चिंतित है कि 18 राज्यों व केंद्रशासित राज्य क्षेत्रों में अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के अधिवास वाले क्षेत्रों के लिए सांसद निधियों का मात्र 13.69 फीसद स्वीकृत किया गया है जबकि दिशानिर्देशों के मुताबिक 22.5 फीसद किया जाना था।
समिति ने कहा कि इस संबंध में दिशानिर्देशों के प्रावधानों को लागू करना जिला प्राधिकारियों का उत्तरदायित्व होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल में अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संसद सदस्यों को परियोजना सूची से इतर जाने के लिए इसे पर्याप्त रूप से सुगम बनाने के दिशानिर्देशों को व्यापक बनाया गया है।
समिति ने कहा कि लेकिन मंत्रालय ने अपर्याप्त मानव संसाधन के तर्क के आधार पर योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों के लाभार्थ व्यय संबंधी आंकड़े एकत्र नहीं किए हैं। समिति मंत्रालय के इस उत्तर से संतुष्ट नहीं है। समिति चाहती है कि मंत्रालय को उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों के लिए संसद निधि के व्यय को वार्षिक आधार पर संकलित और सुमेलित करना चाहिए ताकि चूक में समय पर सुधार किया जा सके।