उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के मूर्तिस्थल का विस्तार करने के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरु की प्रतिमा हटाने का मामला सामने आया है। इलाहाबाद नेहरु-गांधी परिवार के पैतृक शहर है और यहीं पर उनका पैतृक आवास आनंद भवन भी स्थित है। लेकिन आनंद भवन के पास लगी पंडित नेहरु की प्रतिमा को स्थानीय प्रशासन ने सिर्फ इसलिए हटा दिया क्योंकि नजदीक ही जनसंघ के अध्यक्ष रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय के मूर्तिस्थल का विस्तार करना था। बहरहाल इस मुद्दे पर कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा है और उन्होंने राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

वहीं पंडित जवाहर लाल नेहरु की मूर्ति हटाने पर स्थानीय प्रशासन का कहना है कि चौराहे के सौंदर्यीकरण के लिए मूर्ति का हटाया जाना जरुरी था। हालांकि उनके पास इस बात का जवाब नहीं था कि चौराहे के सौंदर्यीकरण के लिए पंडित दीन दयाल उपाध्याय के मूर्तिस्थल के साथ छेड़छाड़ क्यों नहीं की गई? मौके पर हंगामा कर रहे कांग्रेस नेताओं ने कहा कि ‘ये देश का कितना दुर्भाग्य है कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु की प्रतिमा को जिस तरह से हटाया जा रहा है, जूते पहनकर क्रेन से मानों फांसी दी जा रही है। एक विचारधारा को खत्म करने के लिए आप इस तरह की घटिया कारवाई करेगी उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार! यह देश के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है।’

बता दें कि भाजपा के शासनकाल में विपक्षी नेताओं की मूर्ति इस तरह हटाने का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी देश के कई राज्यों में प्रतिमाओं को हटाने के मुद्दे पर विवाद हो चुके हैं। भाजपा तो बाकायदा कांग्रेस मुक्त भारत बनाने का ऐलान भी कर चुकी है। ऐसे में माना जा रहा है कि विपक्षी पार्टी के नेताओं की प्रतिमाएं हटाना भी भाजपा की कांग्रेस मुक्त भारत बनाने की योजना का हिस्सा है।