जम्मू कश्मीर सरकार ने शनिवार (18 जून) को आशंका जतायी कि पाकिस्तान और उससे सहानुभूति रखने वाले लोग दो जुलाई से शुरू हो रही वार्षिक अमरनाथ यात्रा को बाधित करने का प्रयास कर सकते हैं। उप-मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कहा, ‘पाकिस्तान, राष्ट्र विरोधी तत्व और आतंकवादी नहीं चाहेंगे कि यह (अमरनाथ) यात्रा सुचारू रूप से हो। वे निश्चित रूप से व्यवधान पैदा करने का प्रयास करेंगे लेकिन हम तैयार हैं और सभी पहलुओं पर विचार किया गया है। सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।’

वह जम्मू क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। सिंह ने कहा कि जम्मू शहर में दो मंदिरों को अपवित्र किए जाने के पीछे माहौल को खराब करने का प्रयास हो सकता है और उन्होंने लोगों को सतर्क रहने के लिए आगाह किया क्योंकि ‘ऐसी घटनाएं भविष्य में भी हो सकती हैं।’ उन्होंने कहा, ‘यात्रा शुरू होने वाली है और पर्यटन मौसम चल रहा है, इसलिए ऐसे तत्व माहौल को खराब करने का प्रयास कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा कि सरकार किसी को भी सांप्रदायिक रंग देकर राज्य में शांति को बाधित नहीं करने देगी। सिंह ने कहा, ‘विभिन्न एजेंसियां मामले में जांच कर रही हैं और सरकार स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है।’ यह पूछे जाने पर कि क्या यह आशंका है कि घटनाएं सीमा पार से प्रायोजित हो सकती हों, उन्होंने कहा कि इस प्रकार की बात से इंकार नहीं किया जा सकता। सिंह ने कहा, ‘पाकिस्तान, आईएसआई या उनके इशारे पर यहां काम करने वाले लोग जम्मू में सांप्रदायिकता को हवा देने का प्रयास कर सकते हैं क्योंकि यह क्षेत्र इन वर्षों में अपेक्षाकृत शांत रहा है…।’

कश्मीरी पंडितों और पूर्व सैनिकों के लिए अलग कालोनियां स्थापित करने के संबंध में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कॉलोनियां स्थापित करने में कुछ भी ‘अनैतिक’ नहीं है। सिंह ने कहा कि इस मुद्दे पर काफी चर्चा हो चुकी है और वह कहना चाहेंगे कि यह कोई मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग तिल का ताड़ बना रहे हैं। कॉलोनी सिर्फ कश्मीरी पंडितों के लिए नहीं है बल्कि सभी विस्थापित लोगों के लिए है जिनमें कश्मीरी पंडित, मुस्लिम प्रवासी, सिख और अन्य शामिल हैं। हम उन्हें ऐसे क्षेत्रों में नहीं धकेल सकते जहां उन्हें उसी स्थिति का सामना करना पड़े जो 25 साल पहले थी।’

उन्होंने कहा कि सुरक्षित महसूस करने पर लोग अपने स्थानों पर जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सैनिक कॉलोनी की स्थापना किसी भी तरह से अवैध नहीं है क्योंकि यह विशिष्ट रूप से राज्य के पूर्व सैनिकों के लिए है। सिंह ने कहा, ‘जहां तक सैनिक कॉलोनी का सवाल है, यह मांग देश के अन्य हिस्सों के पूर्व सैनिकों की ओर से नहीं आया है। मुझे बताया गया है कि करीब पांच हजार पूर्व सैनिक कश्मीर में रह रहे हैं और अगर मीडिया, शिक्षक, नौकरशाह कॉलोनियों के लिए कह सकते हैं, तो मैं समझता हूं कि पूर्व सैनिकों की ओर से ऐसी कॉलोनी की मांग अवैध या अनैतिक नहीं है।’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कॉलोनी के लिए सरकार को अभी भूमि की तलाश करनी है।