उत्तर प्रदेश के आगरा के सरोजनी नायडू मेडीकल कॉलेज में अस्पताल के द्वारा एक बुजुर्ग मां के साथ अमानवीय बर्ताव करने का मामला सामने आया है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक गुरुवार (5 अप्रैल) को रुनकता गांव की रहने वाली अंगूरी देवी को सांस की समस्या के कारण अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड (आकस्मिक विभाग) में भर्ती कराया गया था। इमरजेंसी वार्ड में महिला को ऑक्सीजन लगाने के बाद जनरल वार्ड में शिफ्ट करने के लिए कहा गया। ऑक्सीजन मास्क और यूरिन पाइप लगी होने के कारण बुजुर्ग महिला जनरल वार्ड तक पैदल चलकर जाने में असमर्थ थी, जो कि काफी दूरी पर है। बुजुर्ग महिला बड़ी ही असहज स्थिति में अपने बेटे के साथ इमरजेंसी वार्ड के बाहर काफी देर तक एंबुलेंस का इंतजार करती रही। इस दौरान बुजुर्ग महिला का बेटा ऑक्सीजन सिलेंडर को अपने कंधे और यूरिन बैग को हाथ में लिए धूप में खड़ा भी रहा। काफी देर तक धूप में खड़े रहने के बाद भी एंबुलेंस नहीं आई और बुजुर्ग महिला की हालत बिगड़ने लगी तो फिर से उसे इंमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराना पड़ा।

सरोजनी नायडू मेडीकल कॉलेज में घटी इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर आने पर अस्पताल प्रबंधन और उत्तर प्रदेश सरकार की किरकिरी हो रही है। सरकार ने राज्य के जिन अस्पतालों को एम्स की तर्ज पर विकसित करने की बात कही है, उनमें आगरा का सरोजनी नायडू मेडीकल कॉलेज भी शामिल है। ईटीवी यूपी भारत नाम की यूट्यूब प्रोफाइल पर घटना वीडियो शेयर किया गया है। करीब 11 सेकेंड का यह वीडियो ही अपने आप में अस्पताल में घटी इस अमानवीय घटना की पूरी कहानी बयां करता है।

बता दें कि सूबे के अस्पतालों में लापरवाही थम नहीं रही है और आए दिन इस तरह की अमानवीय घटनाएं सामने आ रही हैं। पिछले दिनों झांसी के मेडीकल कॉलेज की एक घटना ने लोगों को हैरत में डाल दिया था। मरीज का इलाज करने वाले स्टाफ ने उसके कटे पैर को ही उसके लिए तकिये के तौर पर इस्तेमाल कर दिया था। घटना की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आने पर अस्पताल समेत सरकारी महकमे में हड़कंप मच गया था। ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों यूपी के सुल्तानपुर में देखने को तब मिला था जब ट्रेन दुर्घटना में घायल शख्स के पैर का पंजा जिला अस्पताल के स्टाफ ने उसकी दोनों टांगों के बीच में रख दिया था।