जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाके में पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी में घायल हुए बिहार के बीएसएफ जवान रामबाबू सिंह ने सोमवार देर रात इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। उनके निधन की खबर जैसे ही उनके गांव सीवान के बेसिलपुर पहुंची, पूरे इलाके में शोक की लहर फैल गई। बुधवार को उनका पार्थिव शरीर गांव लाया जाएगा और पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मौत से कुछ घंटे पहले पत्नी से की थी बात
रामबाबू सिंह हाल ही में शादी के बंधन में बंधे थे और उनके परिवार में जल्द ही एक नया सदस्य आने वाला था। उनके परिवारवालों ने बताया कि सोमवार को सुबह 10 बजे उन्होंने अपनी पत्नी अंजलि से बातचीत की थी। किसी को यह अंदाजा नहीं था कि यह उनकी आख़िरी बातचीत होगी। वे मूल रूप से हरिहरपुर पंचायत के पूर्व उप मुखिया के बेटे थे और दो भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। बचपन से ही उनका सपना था देश की सेवा करना और उन्होंने कड़ी मेहनत से इसे पूरा भी किया।
रामबाबू को जोधपुर में पोस्टिंग मिली थी, लेकिन भारत-पाक के बीच बढ़ते तनाव के चलते उन्हें जम्मू-कश्मीर में ही तैनात रखा गया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पर गोलीबारी तेज हो गई थी, जिसमें रामबाबू और उनके साथ सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज भी घायल हुए थे। इम्तियाज की मौत पहले ही हो चुकी थी और सोमवार को उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ सारण जिले में दफनाया गया।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दोनों शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने घोषणा की कि दोनों परिवारों को 50-50 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। इसके साथ ही शहीदों के अंतिम संस्कार को पूरे सरकारी सम्मान के साथ संपन्न कराया जाएगा। रामबाबू सिंह की पत्नी को सहायता राशि प्रदान की जाएगी, जबकि इम्तियाज के बेटे को योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि “देश इनके बलिदान को हमेशा याद रखेगा।” मंगलवार को वे डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, मंत्री जमा खान और सुमित सिंह के साथ इम्तियाज के परिवार से भी मिले और उन्हें 50 लाख रुपये का चेक सौंपा।
नीतीश कुमार ने यह भी ऐलान किया कि इम्तियाज के गांव में उनके नाम पर एक स्मारक द्वार बनाया जाएगा। चिंतामनगंज पुल से रहमपुर बाजार तक की सड़क का नाम भी इम्तियाज के नाम पर रखा जाएगा। गांव में एक नया स्वास्थ्य उप-केंद्र और एक स्थायी स्मारक भी स्थापित किया जाएगा ताकि उनकी शहादत हमेशा याद रखी जाए।
इस बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी इम्तियाज के परिवार से मुलाकात की और राज्य सरकार से मांग की कि उनके नाम पर एक बड़ा अस्पताल बनाया जाए और उनके परिवार को आर्थिक मदद के रूप में पेट्रोल पंप भी आवंटित किया जाए। दोनों जवानों की शहादत ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि सीमाओं पर डटे हमारे सैनिक किस तरह देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर करते हैं। बिहार आज गर्व और गम दोनों से भरा हुआ है।