ओडिशा में ट्रेन हादसे के छह दिन बाद भी स्थानीय लोगों के मन से उसका डर दूर नहीं हो रहा है। राज्य के बालासोर जिले के बाहानागा बाजार स्टेशन पर तीन ट्रेनों की टक्कर में 288 लोगों की मौत हो गई थी। घटना के बाद तमाम लोगों की लाशें अस्पतालों के पोस्टमार्टम हाउस में जगह नहीं होने से अस्थायी तौर पर बाहानागा हाईस्कूल में रखी गई थीं। इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे अब वहां जाने से डर रहे हैं। उनके माता-पिता भी बच्चों को वहां भेजने से दहशत में हैं।

इसको लेकर स्कूल मैनेजमेंट कमेटी ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि 65 वर्ष पुराने स्कूल की इमारत को गिरा दिया जाये और वहां नई इमारत बना दी जाए।

स्कूल की हेडमिस्ट्रेस प्रमिला स्वेन का कहना है बच्चे स्कूल आने से डर रहे हैं। फिलहाल योजना बनाई गई है कि परिसर में कुछ धार्मिक आयोजन किये जाएं और पूजा पाठ कराई जाए, जिससे बच्चों के मन से डर दूर हो जाए। उन्होंने बताया कि स्कूल के कुछ सीनियर छात्र और एनसीसी कैडेट्स ने घटना के बाद पीड़ितों के राहत और बचाव कार्य में सहयोग भी किया था।

स्कूल और जन शिक्षा विभाग के निर्देश पर गुरुवार को स्कूल का दौरा करने वाले बालासोर के जिला कलेक्टर दत्तात्रय भाऊसाहेब शिंदे ने कहा, “मैंने स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों, प्रधानाध्यापिका, अन्य कर्मचारियों और स्थानीय लोगों से मुलाकात की है। वे पुरानी इमारत को तोड़कर उसका जीर्णोद्धार कराना चाहते हैं ताकि बच्चों को कक्षाओं में जाने में कोई डर या आशंका न हो।”

एसएमसी के एक सदस्य ने जिला कलेक्टर को बताया कि टीवी पर स्कूल की इमारत में पड़े शवों को देखने के बाद, “बच्चे घबड़ाए हुए हैं और 16 जून को फिर से खुलने जा रहे स्कूल आने से हिचक रहे हैं।”

हालांकि लाशों को बाद में वहां से भुवनेश्वर भेज दी गई थी और स्कूल परिसर को साफ कर दिया गया है। छात्र और अभिभावक डरे हुए हैं और दहशत की स्थिति में हैं। एक छात्र ने कहा, “यह भूलना मुश्किल है कि हमारे स्कूल की इमारत में इतने सारे शव रखे हुए थे।”