ओडिशा के खोड़ा जिले के बानपुर इलाके में दशहरे के दिन एक मंदिर का पुजारी अपने भक्तों के सिर पर अपना पैर रखकर उनको आशीर्वाद दे रहा है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वॉयरल हुआ लोगों ने अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी। कई लोगों ने इसे अंधविश्वास कहा तो कुछ अन्य लोगों ने इसे पाप की पराकाष्ठा बताया। जो लोग पुजारी से आशीर्वाद ले रहे थे, वे अपने नए वाहनों की पूजा भी करवाए। इसके बाद पुजारी रामचंद्र सामंतराय ने संस्कृत के श्लोकों का उच्चारण कर सभी लोगों के सिर पर फूलों का आशीर्वाद भी दिया।

पुजारी ने कहा, भक्तों की ऐसी इच्छा थी :  पुजारी का नाम रामचंद्र सामंतराय बताया गया है। रामचंद्र सामंतराय ने बताया कि भक्तों को मुझ पर पूरा भरोसा है। वे स्वयं मुझसे बोले कि मेरे पैर उनके सिर को छूएं। बताया कि पैरों से आशीर्वाद देने के पीछे मान्यता यह है कि इससे भक्तों के आधे पाप हम अपने ऊपर ले लें। भक्तों के पापों को साझा करने की यह कोशिश है। यह अपमान नहीं, बल्कि आशीर्वाद का विधान है। पुजारी ने कहा कि आशीर्वाद किसी भी रूप में हो सकता है। हाथों, पैरों, मुंह या आंखों से भी आशीर्वाद दिया जा सकता है।

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जगन्नाथ मंदिर के पुजारी ने इसे परंपरा बताया : जगन्नाथ मंदिर के मुक्तिमांडप के अध्यक्ष ने कहा कि यह निश्चित रूप से पवित्र परंपरा है, लेकिन यह किसी पर थोपा नहीं जा सकता है। कहा कि ब्राह्मणों का अधिकार है कि वे ब्रह्मांड के सभी प्राणियों को अच्छी तरह से और शांतिपूर्वक रहने के लिए आशीर्वाद दें। समाचार एजेंसी एएनआई ने इसका वीडियो जारी किया तो लोगों ने पुजारी की जमकर आलोचना की। लोगों का कहना है कि आशीर्वाद देने का तरीका पैरों को सिर पर रखना नहीं। लोग आशीर्वाद लेने के लिए पैर छूते हैं, लेकिन आशीर्वाद देने के लिए पैर नहीं हाथों का प्रयोग किया जाता है। इस तरह का आशीर्वाद देना गलत और भक्तों को अंधविश्वास में डालना है।

लोगों ने कहा भावनाओं में बहकर बन रहे अंधविश्वासी :  दुर्गा पूजा पर लोगों को पैरों से आशीर्वाद देने और इस पर पुजारी के तर्क की आलोचना करते हुए लोगों का कहना है कि 21वीं सदी में क्या इस तरह के विश्वासों और विचारों की मान्यता मिलनी चाहिए। क्या पुजारी को भगवान मानकर उनके पैरों को अपने ऊपर रखने की छूट मिलनी चाहिए। जो भक्त ऐसा करवा रहे हैं, दरअसल वे भोलेभाले लोग हैं। वे भावनाओं में बहकर अंधविश्वासी हो गए हैं।