राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद (एनआरएससी) ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप राजस्थान सरकार को व्यावसायिक वाहनों में ‘रफ्तार नियंत्रित करने का यंत्र’ (स्पीड गर्वनर) लगाने की कार्रवाई करने का आग्रह किया है। राजस्थान 2014 में 25,397 सड़क हादसों के कारण देश के सातवें पायदान पर रहा। एनआरएससी के सदस्य डॉ. कमल सोई ने बताया कि राजस्थान में 2014 में 25,397 सड़क हादसों में 10,990 लोग मारे गए और 2015 में नवंबर तक लगभग 9,800 लोगों की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि सड़क यातायात और राजमार्ग मंत्रालय के 2014 के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान सड़क हादसों में सातवें पायदान पर रहा और पूरे देश में हुए सड़क हादसों में पांच फीसद अकेले यहां हुए। डॉ. सोई राज्य के यातायात अधिकारियों के साथ बुधवार से कई बैठकें कर चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट में रफ्तार नियंत्रित करने का यंत्र (स्पीड गर्वनर) लगाने के लिए लंबित जनहित याचिका जिसकी सुनवाई आगामी 11 जनवरी को होनी है, का हवाला देते हुए डॉ. सोई ने बताया कि राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेशों को इस संबंध में उठाए गए कदमों पर एक रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। यह रिपोर्ट 21 अगस्त, 2009 को सुप्रीम कोर्ट की वैधानिक अधिसूचना के अनुसार जारी की गई थी।

उन्होंने प्रदेश के यातायात आयुक्त को लोगों की जिंदगी बचाने के उद्देश्य से रफ्तार नियंत्रित करने का यंत्र लगाने के लिए निविदा आमंत्रित करने और व्यावसायिक वाहनों के लिए निजी कंपनियों से प्रस्ताव आमंत्रित करने के कार्य को प्राथमिकता से करने को कहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में सात लाख व्यावसायिक वाहन सड़क पर संचालित हो रहे हैं और सड़क हादसों के कारण हाने वाली मौतों को रोकने के लिए प्रदेश में रफ्तार नियंत्रित करने का यंत्र लगाना अनिवार्य कर देना चाहिए।

तेलंगाना में वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने की प्रक्रिया जारी है और पंजाब में यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। डॉ. सोई ने कहा कि देश के छह राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा में सड़क हादसों से में ज्यादा मौतें होती हैं। उन्होंने कहा कि पूरे देश में एक लाख 50 हजार लोग सड़क हादसों में मारे गए और इसमें 30 अरब अमेरिकी डालर का आर्थिक बोझ उठाना पड़ा जो जीडीपी का दो-तीन फीसद है।
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