दक्षिण भारत खासकर तमिलनाडु में लोकप्रिय जल्लीकट्टू पिछले कुछ वर्षों से लगातार विवादों में रहा है। पशुओं पर क्रूरता को लेकर इसे प्रतिबंधित करने का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में चेन्नई में इंडियन प्रीमियर लीग की तर्ज पर जल्लीकट्टू प्रीमियर लीग का आयोजन किया जा रहा है। यह पहला मौका होगा जब तमिलनाडु की राजधानी में विवादास्पद जल्लीकट्टू को लेकर किसी तरह के लीग का आयोजन किया जा रहा है। यह लीग सात जनवरी से शुरू होगा।

सांडों को नियंत्रित करने वाला यह पारंपिरक खेल पशु क्रूरता को लेकर विवादों में रहा है। इसे प्रतिबंधित करने को लेकर याचिका भी दायर की गई है। यह दक्षिणी तमिलनाडु जैसे मदुरै, तिरुचि आदि इलाकों में बेहद लोकप्रिय है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जल्लीकट्टू प्रीमियर लीग का आयोजन तमिलनाडु जल्लीकट्टू पेरावई और चेन्नई जल्लीकट्टू अमायप्पु की ओर से किया जा रहा है। यह परंपरागत खेल आमतौर पर पोंगल त्योहार के मौके पर खेला जाता है। पशु अधिकार संगठनों की ओर से इसको लेकर अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2014 में जल्लीकट्टू को प्रतिबंधित कर दिया था। इसके बाद इस साल के शुरुआत में तमिलनाडु सरकार विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया था, जिसके तहत जल्लीकट्टू को राज्य में कानूनी बना दिया गया था।

संविधान पीठ के हवाले: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जल्लीकट्टू को लेकर दायर याचिका को संविधान पीठ के हवाले कर दिया था। संविधान पीठ इस बात पर विचार करेगी की क्या तमिलनाडु और महाराष्ट्र में संविधान के अनुच्छेद 29(1) के तहत जल्लीकट्टू को मंजूरी दी जा सकती है या नहीं। इस मौलिक अधिकार के तहत सांस्कृतिक अधिकारों को संरक्षण प्राप्त है। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मिश्रा ने कहा था, ‘ऐसा कभी नहीं हुआ है जब किसी राज्य ने अनुच्छेद 29(1) के तहत संवैधानिक संरक्षण की मांग की हो। ऐसे में इस मामले को संविधान पीठ के हवाले किया जा सकता है।’ जस्टिस नरीमन ने इसके दूरगामी प्रभाव पड़ने की बात कही थी।