राजस्थान की पाकिस्तान से लगती सीमा के निकट मौजूद जैसलमेर जिले का एक पुलिस थाना ऐसा भी है जहां उसकी स्थापना के बाद 23 साल के दरम्यान बलात्कार का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि मरुस्थलीय जैसलमेर जिले का यह पुलिस थाना अपराधियों के लिए ही नहीं, बल्कि स्वयं पुलिसवालों के लिए भी किसी ‘काला पानी’ की सजा से कम नहीं है। जिला मुख्यालय से करीब 150 किमी की दूरी पर दुर्गम रेगिस्तानी भूभाग में मौजूद शाहगढ़ थाना की स्थापना 1993 में राष्ट्रविरोधी तत्वों पर अंकुश लगाने के मकसद से की गई थी और इसकी स्थापना के लगभग 23 वर्ष में यहां केवल 55 मामले दर्ज हुए हैं जिसमें आज तक बलात्कार का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है।
भारत सीमा क्षेत्र में शाहगढ़ बल्ज नाम से विख्यात इस थाना क्षेत्र के अंतर्गत करीब 900 की आबादी निवास करती है। अधिकारी के मुताबिक, तय मापदंड के अनुसार शाहगढ़ थाने में पुलिस इंस्पेक्टर समेत 15 पुलिसकर्मियों की तैनाती होनी चाहिए, मगर फिलहाल यहां एक सहायक उपनिरीक्षक सहित आधा दर्जन पुलिसकर्मी ही कार्यरत हैं। पुलिसकर्मी यहां से जैसलमेर मुख्यालय आने के लिए सीमा सुरक्षा बल के वाहनों पर निर्भर हैं।
दिलचस्प यह भी है कि थाने में आज तक ना तो बिजली पहुंच पाई है और ना ही पानी की सुविधा है। यहां पुलिस के पास धरपकड़ के लिए एक पुरानी जीप है। वैसे यह थाना दूरभाष सेवा से जुड़ा हुआ है, लेकिन फोन आसानी से लगता नहीं। महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग बैरक बने हुए हैं, जो अधिकतर समय खाली ही रहते हैं।
शाहगढ़ थाना की स्थापना उस दौर में हुई थी जब सीमापार से जैसलमेर जिले में बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थ, सोना-चांदी आदि सामान तस्करी कर लाए जाते थे। बाद के वर्षों में शाहगढ़ क्षेत्र से लगती सीमा पर तारबंदी होने से तस्करी लगभग बंद हो गई। इसी कारण एक दशक के दौरान शाहगढ़ थाने में पूरे वर्ष भर में इक्का-दुक्का मामले ही दर्ज हुए। वर्ष 2005, 2009 और 2010 में तो यहां एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। मौजूदा वर्ष में भी अब तक कोई मामला इस थाने की दहलीज तक नहीं पहुंचा और ना ही दर्ज हुआ।
बुनियादी सुविधाओं के लिए करीब ढाई दशक से तरस रहे शाहगढ़ थाने के अब दिन फिरने की उम्मीद जगी है। पुलिस अधीक्षक डा. राजीव पचार ने कहा, ‘शाहगढ़ पुलिस थाना अपने आप में विशिष्ट है। यहां मैंने कई बार अपने दौरे के दौरान इसकी जरूरतों को महसूस किया है। पेयजल के लिए ट्यूबवैल खुदवा दिया गया है जिसे सोलर पैनल के जरिए संचालित किया जाएगा और बिजली की सुविधा भी जल्द मिलने की उम्मीद है। इसी तरह थाने की चारदीवारी और अन्य जरूरी निर्माण कार्यों के लिए बीएडीपी के अंतर्गत प्रस्ताव लिए जा चुके हैं। इन कार्यों के भी इस चालू वर्ष में पूरा होने की संभावना है।’