दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र सदन में आम आदमी पार्टी का पूर्ण बहुमत साबित होने के बाद खत्म हो गया है। दिल्ली विधानसभा के इस सत्र में आम आदमी पार्टी इस बार विपक्षी विधायकों पर अधिक हमलावर नजर आई। यही वजह थी कि विपक्ष के विधायक सदन से ज्यादा विधानसभा के बाहर के गलियारों में खड़े नजर आए। इस सत्र में आम आदमी पार्टी व भारतीय जनता पार्टी के बीच सीधे तौर पर सीबीआइ जांच और आबकारी नीति पर आरोप प्रत्यारोप तेज दिखे।

खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विश्वास मत प्रस्ताव को सदन में लेकर आए थे, आज तक कभी भी ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई थी। देशभर में सरकार गिराने की गतिविधियों का हवाला देते हुए आम आदमी पार्टी ने इस विशेष सत्र को अहम माना था। हालांकि दिल्ली विधानसभा से संबंधित नियमों में केवल अविश्वास मत प्रस्ताव का ही स्पष्ट उल्लेख किया गया है।

इस सत्र को शुरुआत के लिए केवल एक ही दिन के लिए बुलाया गया था लेकिन एक-एक दिन जोड़कर यह सत्र पांच दिन तक चला। सत्र में रोजाना भाजपा के विधायकों को विधानसभा से बाहर का भी रास्ता दिखाया गया, जिसे पूरा विपक्ष केवल असंवैधानिक प्रक्रिया बताता रहा। इस प्रक्रिया के विरोध में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के विधायक विधानसभा परिसर में एक दूसरे के खिलाफ प्रदर्शन करते भी नजर आए।

विधायी नियम प्रक्रिया में है केवल अविश्वास मत का प्रावधान विधायी नियमों के मुताबिक विधानसभा के नियमों में केवल अविश्वास मत का प्रावधान है और इसे नियम पुस्तिका के अध्याय 18 में उल्लेखित किया गया है। इसके मुताबिक मंत्रिपरिषद में विश्वास की कमी को देखते हुए ही अध्यक्ष की सम्मति से ही पाबंदियों के साथ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है।

इस प्रस्ताव को पेश करने की अनुमति शून्यकाल के बाद और दिन की कार्यवाही शुरू होने से पूर्व मांगे जाने का भी प्रावधान है। अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए कम से कम तीन घंटे पहले प्रस्ताव को पेश करने की सूचना देनी होगी। इसके बाद विधायकों को सदन में खड़े होकर मतदान करना होगा। नहीं पेश हो पाए सेवा विभाग से संबंधित प्रतिवेदनइस विधानसभा के विशेष सत्र में ही सरकार ने सेवा विभाग के प्रतिवेदन पेश करने की भी तैयारी की थी।

ये प्रतिवेदन विधानसभा द्वारा जारी कार्य सूची में भी जारी किए थे, जिन्हें विधायक राजेश गुप्ता और आतिशी द्वारा सदन पटल पर पेश किया जाना था। इस कार्य सूची को विधानसभा सचिव के आदेशों से जारी किया गया था। लगातार पांच दिन का समय बढ़ने के बाद भी सदन में इन दस्तावेज को पेश नहीं किया गया। यह दस्तावेज गुरुवार एक सितंबर की कार्यवाही में भी पेश होने के लिए लाए गए।