सुप्रीम कोर्ट द्वारा 16 दिसंबर मामले में दोषी किशोर की रिहाई के खिलाफ याचिका खारिज करने पर पीड़ित के माता पिता ने कहा कि अदालतों से उन्हें निराशा हुई है और पूछा कि इस कानून को बदलने के लिए कितनी निर्भयाओं की जरूरत होगी। पीड़िता की मां आशा देवी ने कहा कि व्यवस्था के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी। पीड़िता के पिता बद्री सिंह पांडे ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमें इस बात की बहुत उम्मीद नहीं थी कि सुप्रीम कोर्ट हमारे पक्ष में फैसला सुनाएगा, लेकिन मैं यह पूछना चाहता हूं कि देश में मौजूदा कानून में बदलाव के लिए कितनी निर्भयाओं की जरूरत होगी।’
उन्होंने कहा, ‘अदालत को जनता की चिंताओं की कोई परवाह नहीं है। यह लड़ाई केवल निर्भया के लिए नहीं बल्कि एक देश में असुरक्षित उन सभी लड़कियों के लिए है जहां इस तरह के कानून हैं।’ पीड़ित की मां ने कहा कि जब तक कानून में बदलाव नहीं लाया जाता तब तक वह लड़ाई जारी रखेंगी। उन्होंने कहा, ‘मैं हारूंगी नहीं, सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुझे रोक नहीं सकता, मुझे लंबी लड़ाई लड़नी है, जब तक यह कानून पास नहीं हो जाता और कानून में बदलाव नहीं होता तब तक मैं लड़ती रहूंगी।’
उन्होंने कहा, ‘अदालत का कहना है कि कानून किसी किशोर के लिए आगे की सजा की इजाजत नहीं देता, लेकिन अन्य दोषियों के खिलाफ मामला अभी भी लंबित क्यों है। अभी तक उन्हें फांसी क्यों नहीं दी गई?’ किशोर अपराधी की रिहाई के खिलाफ दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने आज यह कह कर खारिज कर दिया कि इस संबंध में ‘एक स्पष्ट वैधानिक मंजूरी’ की जरूरत है।