छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में भाजपा विधायक के काफिले पर हमला हुआ है। जानकारी के मुताबिक हमला भाजपा विधायक भीमा मंडावी के काफिले पर हुआ है। इस ब्लास्ट में करीब 5 सुरक्षा जवानों के गंभीर घायल होने की खबर भी सामने आ रही है। भाजपा के काफिले पर हुए हमले में झीरम घाटी हत्याकांड की यादें ताजा कर दी है।
छत्तीसगढ़ के बस्तर स्थित झीरम घाटी में मई 2013 के दौरान नक्सलियों द्वारा किए गए नरसंहार की SIT जांच को झटका लगा है। एनआईए ( नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी) ने इस मामले से संबंधित फाइल छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार को देने से इनकार कर दिया है। सीएम बघेल ने यह जानकारी मंगलवार को विधानसभा में दी। एनआईए के फाइल देने से इनकार के बाद झीरम घाटी में हुई कांग्रेस नेताओं की हत्या के पीछे छिपी साजिश का पता लगाने के प्रयासों पर फिलहाल विराम लग गया है। ऐसी स्थिति में पूरे मामले की जांच नए सिरे से होगी, जिसमें सभी के बयान दोबारा दर्ज किए जाएंगे।
क्या लिखा है एनआईए के पत्र में : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सदन में जानकारी दी कि एनआईए ने इस संबंध में एक पत्र भेजा है। इसमें लिखा है कि झीरम घाटी नरसंहार कांड में कई लोगों से पूछताछ होनी बाकी है। ऐसे में इस मामले से जुड़े हुए दस्तावेज उजागर नहीं किए जा सकते। सीएम ने कहा कि झीरम घाटी नरसंहार एक राजनीतिक साजिश थी। नक्सलियों को कांग्रेस नेताओं को मारने की सुपारी दी गई थी। बता दें कि मई 2013 में हुई इस घटना में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, वीसी शुक्ला, महेंद्र कर्मा समेत करीब 31 लोगों की हत्या कर दी गई थी।
मुख्यमंत्री बोले हमारा शक हुआ और गहरा : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि फाइल देने से एनआईए के इनकार के बाद हमारा शक बढ़ गया है। झीरम घाटी कांड की जांच में केंद्र सरकार से हमें कोई मदद नहीं मिल रही है। हमने इस केस में जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। बस्तर आईजी विवेकानंद को एसआईटी का मुखिया बनाया गया है। अब हमारी सरकार इस मामले को कोर्ट में लेकर जाएगी।