देश में जारी कोरोना वायरस की वजह से सभी स्कूल और कॉलेज 31 जुलाई तक बंद हैं। ऐसे में बिहार के भागलपुर जिले के बाडबिला गांव के मुसहरी टोला के बच्चे रोजाना भूख के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। यहां के बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। स्कूल बंद होने की वजह से बच्चों को मिड-डे मील भी नहीं मिल रहा है। इसे देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और बिहार सरकार को नोटिस दिया है।
स्कूल बंद होने की वजह से भागलपुर में बच्चों को मिड-डे-मील से महरूम रखने के लिए एनएचआरसी ने एचआरडी और बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है। मिड-डे-मील नहीं मिलने की वजह से बच्चों की स्थिति बेहद खराब है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्हें मिड-डे-मील में चावल, रोटी, सब्जियां, दाल, सोया और शुक्रवार को अंडे मिला करते थे। लॉकडाउन की वजह से उनके पोषण को मुख्य स्रोत गायब हो गया है।
एक स्थानीय महिला ने बताया कि एक महीने पहले अधिकारियों की ओर से उन्हें पांच किलो चावल या गेहूं और एक किलो दाल दिया गया था। जो अब खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि इतने बड़े परिवार में इतने राशन में कैसे गुजारा होगा। तब से अधिकारी दोबारा उस इलाके में वापस नहीं आए हैं। लॉकडाउन की वजह से उनकी रोजी-रोटी पहले ही छिन गई थी, ऐसे में वो करें तो क्या करें।
बता दें कि नेशनल फैमिली सर्वे 2015-16 के तहत बिहार के 48.3 फीसदी बच्चों का शारीरिक विकास ठीक से नहीं हो रहा और 43.9 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। यह राष्ट्रीय औसत क्रमशः 38.4 और 35.7 से काफी ज्यादा है। बिहार के गांवों में बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए सबसे बड़ा हथियार मिड डे मील है लेकिन स्कूल बंद होने के चलते अब बच्चे इस सुविधा से भी महरूम हैं।