तमिलनाडु में राजनीतिक दलों की रैलियों में कड़कड़ाती धूप में लोगों को जबरन बैठाने की घटनाओं को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गंभीरता से लिया है। आयोग ने एक शिकायत का खुद संज्ञान लेते हुए इस मामले में तमिलनाडु के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किए हैं। उनसे दो हफ्ते के भीतर ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बारे में ब्योरा देने को कहा गया है।
शिकायत के मुताबिक चिलचिलाती धूप में लोगों को जबरन, धमका कर चुनावी रैलियों के लिए जुटाया गया। उन्हें चार-पांच घंटे तक अन्य सुविधाएं तो दूर पीने का पानी तक मयस्सर नहीं कराया गया। नतीजतन कई लोग बीमार पड़ गए और कुछ की जान भी चली गई। आरोप है कि जिला कलक्टरों के लोगों को दोपहर 11 बजे से चार बजे के दौरान परेशान न करने के निर्देशों के बावजूद ऐसी घटनाएं हो रही हैं।
आयोग ने राज्य सरकार को हिदायत दी है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए जरूरी बंदोबस्त किए जाएं। आयोग ने शिकायत में लगाए गए आरोपों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उसने कहा है कि चुनाव के दौरान बेशक राजनीतिक दलों को जनसभाएं आयोजित करने का अधिकार है पर ऐसी सभाओं के लिए इजाजत देते समय प्रशासन के अधिकारियों को यह देखना चाहिए कि लोगों की सुरक्षा के पर्याप्त बंदोबस्त हों।
शिकायत के मुताबिक 11, 15 और 20 अप्रैल को क्रम से कुड्डालोर, विरधुनगर और सलेम जिलों में इस तरह की घटनाएं हुईं। आग उगलती धूप में लोगों को चुनावी सभाओं के लिए 11 बजे बुला लिया गया था पर सभाएं शुरू तीन बजे हो पाईं। मौजूद लोगों को लघुशंका तक के लिए नहीं उठने दिया गया। नतीजतन वे बिलबिला गए। कई बेहोश हो गए। इससे भगदड़ भी मची।
17 लोग अस्पताल में दाखिल कराए गए। समय पर चिकित्सा सुविधा न मिलने के कारण दो की मौत हो गई। एक भगदड़ में घायल होने के बाद मर गया। दो ने तपिश के कारण दम तोड़ दिया। आरोप है कि लोगों को मनरेगा के तहत तीन सौ रुपए की मजदूरी देकर चुनावी रैलियों में लाया गया।