दक्षिण दिल्ली इलाके में मोबाइल टावरों को लगाने के खिलाफ एक रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने मंगलवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) का रुख किया। अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाले एक पीठ ने इस संबंध में चार जनवरी तक जवाब दाखिल करने के लिए डीडीए और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को नोटिस भेजा है।
यह आदेश अधिकरण ने साकेत के डी-ब्लॉक रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि यह मोबाइल टावर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन फैलाते हैं और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। इसलिए इन्हें इन क्षेत्रों से हटाया जाए। याचिका में कहा गया है कि शोधों से यह बात स्थापित हो चुकी है कि बच्चों की खोपड़ी कम मोटी होती है। जिस कारण से बच्चों पर इसका सर्वाधिक दुष्प्रभाव पड़ता है। इससे डीएनए में बदलाव, कैंसर और मस्तिष्काघात जैसी बीमारियों के होने का खतरा है।
नौ सितंबर को अधिकरण ने केंद्र सरकार से यह बताने को कहा था कि क्या रिहायशी इलाकों में इस तरह के मोबाइल टावरों की स्थापना से मानवों को नुकसान होता है या नहीं? साथ ही केंद्र सरकार से इसकी रोकथाम के लिए उठाने वाले कदमों की जानकारी भी अधिकरण ने मांगी है।