महाराष्ट्र में सियासी उठापटक जारी है शिवसेना नेता और सरकार में मंत्री रहे एकनाथ शिंदे की बगावत ने पूरे सूबे में हलचल मचा दी है। बागी शिंदे के साथ शिवसेना के 40 विधायक और 12 निर्दलीय विधायक भी हैं। शिंदे के इस क्रांतिकारी कदम की वजह से पूरे सूबे में अस्थिरता का माहौल है। शिंदे बागी विधायकों के साथ गुवाहाटी में शिफ्ट हो गए हैं। इन विधायकों के इस रवैये पर नाराजगी दिखाते हुए सीएम उद्धव ठाकरे ने बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग कर दी है।
इस पर एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि आपके पास कितने विधायक बचे हैं? निर्दलीय विधायकों के समर्थन को मिलाकर 52 विधायक तो शिंदे गुट को समर्थन दे रहे हैं ऐसे में असली शिवसेना तो शिंदे गुट ही दिखाई दे रहा है। ठाकरे की आयोजित बैठक में हिस्सा नहीं लेने वाले 12 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई है। जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए एकनाथ शिंदे ने कहा कि संविधान की 10वीं अनुसूची के मुताबिक पार्टी व्हिप विधायिका की कार्यवाही के लिए जारी किया जाता है न कि बैठक में हिस्सा न लेने के लिए।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में 21 जून की सुबह से ही ये सियासी ड्रामा जारी है। महाराष्ट्र की मौजूदा महाविकास अघाड़ी सरकार तभी गिर सकती है जब सीएम उद्धव ठाकरे विधायकों की संख्या की कमी की वजह से इस्तीफा देने का विकल्प चुनते हैं या फिर फ्लोर टेस्ट करवाने के दौरान वो विधानसभा में फ्लोर टेस्ट हार जाते हैं। ऐसे में हम आपको उन आपको उन संभावित घटनाओं के बारे में बताते हैं जिनके बारे में मौजूदा महाराष्ट्र की स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है।
हालांकि महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने बागी विधायक शिंदे गुट से एक भावनात्मक अपील करते हुए पहले ही सीएम का पद छोड़ने की पेशकश की है और बुधवार को पारिवारिक आवास ‘मातोश्री’ के लिए आधिकारिक निवास ‘वर्षा’ छोड़ दिया था। हालांकि, शिंदे अपनी जिद पर अड़े थे कि ठाकरे एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़ दें।
सीएम दें इस्तीफा या करवाएं फ्लोर टेस्ट
बागी विधायकों के गुट जिसमें 52 विधायकों का दावा है कि उन्होंने आधिकारिक तौर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल को ठाकरे सरकार से समर्थन वापस लेने के बारे में जानकारी दी है। अगर ये बात सही साबित होती है तो उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है। अगर ऐसा हो गया और सीएम ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया तो राज्यपाल बीजेपी से सरकार बनाने का आह्वान कर सकते हैं। इसके बाद बीजेपी को विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा। ऐसे में बीजेपी शिवसेना के बागी विधायकों के समर्थन से आगे बढ़कर सरकार बना सकती है। और अगर ठाकरे इस्तीफा नहीं देते हैं तो उन्हें फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करना होगा।
फ्लोर टेस्ट में फेल हुए तो भी गिरेगी सरकार
सीएम उद्धव ठाकरे अगर फ्लोर टेस्ट में फेल होते हैं तो भी उनकी सरकार गिर जाएगी, जिसके बाद महाराष्ट्र की सियात में कुछ ऐसे हालात बनेंगे कि बीजेपी को सरकार बनाने के लिए बुलाया जायेगा लेकिन अगर बीजेपी भी यहां सरकार बनाने में असफल रहती है तो फिर राष्ट्रपति शासन की संभावना बन जाएगी। जैसा कि नवंबर 2019 में हुआ था. इस अवधि के दौरान सरकार बनाने के विकल्पों का पता लगाया जाता है और नए गठबंधन बनाए जा सकते हैं. हालांकि, अगर गतिरोध जारी रहता है, तो राज्य में नए विधानसभा चुनाव भी हो सकते हैं.
सीएम उद्धव को दलबदल विरोधी कानून का आसरा!
महाराष्ट्र में चल रही सियासी उठापटक को लेकर सीएम उद्धव ठाकरे के लिए आखिरी उम्मीद की किरण बची है लेकिन वो भी तभी कारगर होगी जब स्थितियां खुलकर सामने आएंगी। दलबदल विरोधी कानून से उन निर्वाचित प्रतिनिधियों को पनिशमेंट दिया जाता है जो अयोग्यता के साथ पार्टियों को बदलते हैं। हालांकि सांसद और विधायक इस कानून को दरकिनार कर सकते हैं अगर ऐसे विधायकों या सांसदों की संख्या पार्टी की ताकत के दो-तिहाई से ज्यादा या बराबर हो। तब ऐसे बागी विधायकों या सांसदों का गुट किसी दूसरे सियासी दल में अपना विलय कर सकता है या फिर सदन में एक अलग समूह बना सकता है।