एक दंगा पीड़ित ने शहर की एक अदालत में कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार को वर्ष 1984 नरसंहार के दौरान सिखों की हत्या के लिए भीड़ को कथित रूप से उकसाने वालों में से एक के रूप में पहचान लिया। ये दंगे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए थे।

अभियोजन के गवाह के रूप में गवाही देते हुए शीला कौर ने अदालत से कहा कि उसने सज्जन कुमार को भीड़ से कथित रूप से यह कहते हुए देखा कि सिखों ने ‘‘हमारी मां’’ को मारा है और उन्होंने भीड़ को उनकी हत्या करने के लिए उकसाया।

शीला ने जिला न्यायाधीश कमलेश कुमार के सामने गवाही देते हुए कहा, ‘‘एक नवंबर 1984 को मुझे समय याद नहीं है, मैंने अपने घर के बाहर आवाज सुनी। मैं घर से बाहर आई और देखा कि मेरे घर के सामने पार्क में बड़ी संख्या में भीड़ एकत्रित थी। मैंने आरोपी सज्जन कुमार को भीड़ को यह कहते हुए देखा कि सिखों ने हमारी मां को मारा था। भीड़ ने नारेबाजी शुरू कर दी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आरोपी सज्जन कुमार कहते रहे सभी को मार दो, उनके घर जला दो। मैं अपने घर की ओर भागी। भीड़ लाठियां लेकर मेरे घर की तरफ आई…’’

उन्होंने अदालत से कहा कि भीड़ ने उनके परिवार के तीन सदस्यों पति बलबीर सिंह, ससुर बसंत सिंह और देवर बलिहार सिंह की बाहर निकालकर हत्या कर दी।

सज्जन कुमार, ब्रहमानंद गुप्ता और वेद प्रकाश पश्चिमी दिल्ली के सुल्तानपुरी में सुरजीत सिंह की हत्या के मामले में हत्या तथा दंगा करने के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।