दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दावा करते हैं कि दिल्ली सरकार की ओर से बनवाए गए सभी स्कूल पूरे देश में सबसे अच्छे हैं और वर्ल्ड क्लास हैं। इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल यह भी दावा करते हैं कि दिल्ली सरकार सबसे अच्छी शिक्षा देती है। वहीं केजरीवाल के इस दावे के उलट दिल्ली में कई स्कूल पोर्टकेबिन में चल रहे हैं।

मंगलवार दोपहर समाचार एजेंसी एएनआई ने ट्वीट कर बताया कि नए स्कूल के निर्माण में देरी होने के कारण दिल्ली के दक्षिण पूर्व के मोलरबंद इलाके में दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जा रहे अस्थायी पोर्टकेबिन स्कूलों में छात्र पढ़ रहे हैं। हालांकि स्कूल का निर्माण हो रहा है लेकिन निर्माण में देरी के चलते बच्चों को पोर्टकेबिन में पढ़ाई करनी पड़ रही है।

दरअसल अरविंद केजरीवाल अगर अपने काम गिनवाते हैं तो स्कूलों को सबसे पहले बताते हैं कि उन्होंने दिल्ली में किस प्रकार से स्कूलों की व्यवस्था में सुधर किया है। बीते 7 सितम्बर को अरविन्द केजरीवाल ने पीएम मोदी को पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने लिखा था, “पूरे देश में लगभग 27 करोड़ बच्चे स्कूल जाते हैं और करीब 18 करोड़ बच्चे सरकारी स्कूल जाते हैं। 80 फीसदी स्कूल कबाड़ख़ाने से भी ख़राब हैं। हम अगर ऐसी शिक्षा दे रहे हैं तो बताइए भारत कैसे विकसित देश बनेगा?”

केजरीवाल ने पत्र को ट्वीट कर शेयर किया था और लिखा था, “मैंने प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखा है कि सिर्फ़ साढ़े चौदह हज़ार नहीं बल्कि देश के सभी 10 लाख सरकारी स्कूलों को ठीक करना पड़ेगा। हम 5 साल में ये कर सकते हैं। सभी राज्य सरकारों को साथ लेकर चलिए, हम आपको पूरा सहयोग देंगे।”

वहीं पोर्ट केबिन में चल रहे स्कूलों को लेकर सोशल मीडिया यूजर्स भी ट्वीट कर रहे हैं। ब्रजेंद्र नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा, “कट्टर ईमानदार दिल्ली के मालिक के राज में ये हो ही नही सकता है जी। बीजेपी वालों ने मीडिया को खरीद लिया है जी। इन्हें केजरीवाल सरकार के कोई और काम दिखाई नहीं दे रहे हैं जी। सब मिले हुये हैं जी।”

विनोद कुमार गुप्ता नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा, “अरविंद केजरीवाल का लंदन स्कूल माॅडल। जितने पैसे प्रचार/ विज्ञापन में खर्च किए हैं, उसके आधे स्कूलों पर खर्च किए होते तो दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था व स्कूल आज सबसे आगे होती।”