राजधानी के सुपर स्पेशियलिटी जीबी पंत अस्पताल में गंभीर हृदय रोगी टिश्यू वॉल्व न मिलने से परेशान हैं और भटक रहे हैं। आॅपरेशन न हो पाने की वजह से मरीजों को प्रतिदिन अस्पताल के चक्कर लगाने व बीमारी बढ़ने जैसी मुश्किलों क ा सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में वॉल्व की आपूर्ति निवदा के आधार पर की जाती है। निविदा खुलने व जरूरी सामान की आपूर्ति क ी लंबी प्रक्रिया के कारण भी मरीजों के आॅपरेशन नहीं हो पा रहे। चूंकि डॉक्टरों को बाहर से सामान न मंगाने की सख्त हिदायत है, इसलिए डॉक्टर बाहर से सामान मरीज से मंगवाने को नहीं लिख रहे हैं। कुल मिला कर मरीज बेहाल हैं। अस्पताल के कार्यकारी निदेशक डॉ. अनिल अग्रवाल ने कहा है निविदा जारी कर दी गई है, जब वॉल्व आएंगे तो लगा दिए जाएंगे।
जीबी पंत अस्पताल में इलाज कराने आए बुजुर्ग मरीज किशोर नाथ भार्गव (बदला नाम) को दिल की बीमारी है। 65 साल के इस बुजुर्ग की बेटी राखी ने बताया कि उनके पिता को काफी दिक्कतें हो रही थीं। दिखाने पर पता चला कि हृदय का आॅपरेशन करने की जरूरत है। इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि चूंकि मरीज बुजुर्ग हैं। इसलिए साधारण वॉल्व लगाने की बजाय टिश्यू वॉल्व लगाना हितकर होगा। लेकिन वह अभी अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। सरकारी खरीद प्रक्रिया में है। इनके अलावा और भी कई मरीज हैं जो इस वॉल्व के इंतजार में हैं। वह हर दूसरे-तीसरे दिन अस्पताल के चक्कर लगा कर अपने आॅपरेशन के बारे में पूछ रहे हैं लेकिन आॅपरेशन की तारीख नहीं मिल पा रही है।
इलाज कर रहे डॉक्टरों ने कहा कि उनकी ओर से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन वॉल्व उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए वे मदद कर पाने में असमर्थ हैं। चूंकि दिल्ली सरकार ने सर्कुलर जारी कर इस डॉक्टरों को निर्देश दिया है कि वह मरीजों से न तो दवा मंगवाएंगे न ही कोई और उपकरण। इसपर मरीजों ने निदेशक से मिल कर अपनी गुहार लगानी चाही, साथ में वे अपनी सिफारिश के लिए दिल्ली के पूर्व मंत्री इमरान हाशमी से की ओर से लिखी चिठ्ठी भी लेकर आए। लेकिन अस्पताल के निदेशक छुट्टी पर हैं। कार्यकारी निदेशक डॉ. अनिल अग्रवाल ने इसकी खरीद प्रकिया चल रही की बात कर जाने लगे। बार-बार आग्रह करने पर उन्होने सेक्शन अफसर से मिलने को कहा। पर कोई फायदा नहीं हुआ। सक्शन अफसर ने उनको वापस निदेशक के पास ही जाने को कह दिया। अंतत : मरीज थकहार कर चले गए। कोई कह रहा है कि इसमें 15 दिन का वक्त लगेगा और कोई कह रहा कि महीना भी लग सकता है। लेकिन विश्वसनीय सूत्रों की माने तो जुलाई में डॉक्टरों की छुट्टियां खत्म होने के बाद ही मामला पटरी पर आाने की संभावना है। इस बारे में अनिल अग्रवाल से बात की तो उन्होंने कहा कि वह इस मामले मे बोलने के लिए अधीकृत नहीं है। सचिव से बात करें। जबकि स्वास्थ्य सचिव से कई बार कोशिश के बाद भी बात नहीं हो पाई।

