दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में इस बार भी दोनों प्रमुख संगठन ‘जाट-गुर्जर’ समीकरण से अलग रहने की हिम्मत नहीं जुटा सके। इस निर्णय के बाबत धन और बाहुबल की राजनीति केंद्र में है। दिल्ली विश्वविद्यालय में बिहार, पूर्वांचल और नार्थ ईस्ट के भी छात्र भारी संख्या में हैं। लेकिन टिकट बंटवारे के समय वे हाशिए पर रखे गए हैं। इसे लेकर प्रदर्शनों व आंदोलनों में झंडा-डंडा उठाने वाले पूर्वाचल के छात्रों में रोष है। दोनों ही मुख्य संगठन उन्हें मनाने में जुटे हैं। उधर आइसा ने महिला सशक्तीकरण का संदेश देने की कोशिश की है। आइसा के डूसू पैनल में तीन लड़कियां हैं। एबीवीपी ने जाट उम्मीदवार के तौर पर संयुक्त सचिव पद पर अंकित सिंह सांगवान को और गुर्जर उम्मीदवार के तौर पर अध्यक्ष पद पर अमित तंवर और उपाध्यक्ष पद पर प्रियंका छावड़ी को मौका दिया है। एनएसयूआइ ने उपाध्यक्ष पद पर गुर्जर उम्मीदवार के तौर पर अर्जुन छपराना को और जाट उम्मीदवार के तौर पर संयुक्त सचिव पद पर मोहित गीरीड को उतारा है।
अध्यक्ष पद पर एनएसयूआइ के निखिल यादव का संबंध जहां नोएडा के सोरखा गांव से है, वहीं एबीवीपी के अमित तंवर दक्षिणी दिल्ली के फतेहपुर बेरी गांव से संबंध रखते हैं। एबीवीपी के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक साकेत बहुगुणा ने बताया कि इस बार संगठन ने पूरी तरह से सक्रिय कार्यकर्ताओं को मौका दिया है। अमित तंवर करीब चार साल से संगठन में सक्रिय हैं और मौजूदा समय में कालका जी विभाग के संयोजक भी हैं। अमित ने बीकॉम की पढ़ाई पीजीडीएवी कॉलेज से की है और अब वहीं से एमए हिंदी की पढ़ाई कर रहे हैं। अमित कहते हैं कि छात्रों के बीच रहना और उनके लिए काम करना उनकी पहली पसंद है। जहां तक खेलकूद की बात है तो उन्हें वालीबॉल का शौक है। एनएसयूआइ के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार निखिल यादव की बात करें तो प्रथम श्रेणी में किरोड़ीमल कॉलेज से भूगोल आॅनर्स में ग्रेजुएट निखिल कैंपस लॉ सेंटर के छात्र हैं। निखिल के पिता सोरखा गांव के सरपंच है।
एनएसयूआइ ने सचिव पद पर दलित कार्ड खेला है। विनीता ढाका को सचिव पद पर मैदान में उतारा है। इसके अलावा अध्यक्ष पद से इतर इस बार दोनों ही प्रमुख संगठनों ने ‘यादव’ उम्मीदवारों पर दांव खेला है। एबीवीपी ने संयुक्त सचिव पद पर विशाल यादव को मौका दिया है। एबीवीपी की महिला उम्मीदवार प्रियंका छावड़ी की बात करें तो दिल्ली प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष जयप्रकाश की बेटी हैं और एबीवीपी में प्रदेश कार्यसमिति की सदस्य के तौर पर कार्यरत हैं। एबीवीपी ने संयुक्त सचिव पर जाट उम्मीदवार के तौर पर अंकित सिंह सांगवान को मौका दिया है। राजस्थान से संबंध रखने वाले अंकित काफी समय से संगठन में सक्रिय हैं और इसी कारण उन्हें यह अवसर मिला।
