फहद तनवीर शेख महाराष्ट्र के उन चार नौजवानों में एक था जो इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र के ठाणे से गया था। फहद तनवीर के परिवार को पिछले हफ्ते सीरिया के रक्का से किसी अज्ञात व्यक्ति ने फोन पर ये सूचना दी। फहद तनवीर इस टोली का आखिरी सदस्य था।  इस टोली के अरीब मजीद की गिरफ्तारी, सहीम तनकी और अमान नईम टंडेल पहले ही मारे जा चुके हैं। डॉक्टर फहद तनवीर के पिता ने बताया, “पिछले मंगलवार को मेरी पत्नी को किसी विदेशी नंबर से फोन आया जिसने बताया कि मेरा बेटा मारा जा चुका है।” डॉक्टर फहद तनवीर ने कहा कि फोन करने वाला काफी दुखी था और उसने ये नहीं बताया कि क्या हुआ, कब हुआ। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के सूत्रों के अनुसार डॉक्टर शेख ने फोन आते ही तुरंत खुफिया एजेंसियों को इसके बारे में सूचित किया। एनआईए फोन के स्रोत की जांच कर रहा है। सूत्रों के अनुसार हिंसग्रस्त रक्का में फहद तनवीर की मौत की परिस्थितियों इत्यादि की स्वतंत्र पुष्टि मुश्किल है।

फहद तनवीर मई 2014 में धार्मिक श्रद्धालु के तौर पर इराक गया था। मजीद, तनकी और टंडेल उसके साथ गये थे। चारों युवक बगदाल से मोसुल चले गये और इस्लामिक स्टेट के इलाके में गायब हो गये। फहद तनवीर के परिजनों के अनुसार उसने उन्हें बताया कि वो मुंबई के बांद्रा में नौकरी करने जा रहा है। मैकेनिकल इंजीनियर फहद तनवीर और उसके दोस्तों ने इराक जाने का फैसला कैसे किया इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। फहद तनवीर एयरकंडीशनर फीटिंग और मेंटेनेंस का कोर्स करके नौकरी खोज रहा था। उसके पिता डॉक्टर शेख कहते हैं, “उसे कुवैत में तीन लाख रुपये महीने की नौकरी मिल रही थी। पता नहीं क्यों उसने हमें धोखा दिया।”

माना जाता है कि अमान टंडेल दिसंबर 2016 में रक्का में हुए एक हवाई हमले में मारा गया था। टंडेल इस्लामिक स्टेट के एक प्रोपगैंडा वीडियो में नजर आया था। वीडियो में वो भारत आकर बाबरी मस्जिद गिराए जाने, कश्मीर, गुजरात और मुजफ्फरनगर में मुसलमानों की हत्या का बदला लेने की बात कह रहा था। वीडियो में उसने शहीम तनकी को श्रद्धांजलि दी थी जो उसी साल एक लड़ाई में मारा गया था।

एक लड़ाई में घायल होने के बाद अरीब मजीद भारत वापस लौट आया था। एनआईए उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रहा है। खुफिया सूत्रों के अनुसाह फहद तनवीर उन करीब 300 इस्लामिक स्टेट के जिहादियों में एक होता है जो रक्का स्पोर्ट्स स्टेडियम और अस्पताल में कुर्दिश सेना के खिलाफ लड़ाई लड़े थे। माना जा रहा है कि कुर्दिश लड़ाकों ने इस्लामिक स्टेट के कई जिहादियों को लड़ाई में मार दिया था क्योंकि उन्हें ऊपर से आदेश दिया गया था कि विदेशी लड़ाकों को गिरफ्तार न करें।