दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से रविवार (28 अगस्त) को भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने करोड़ों रुपए के टैंकर घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता के सिलसिले में पूछताछ की। इसके अलावा उन्हें 18 लिखित सवाल सौंपे जा रहे हैं जिसका उन्हें अगले कुछ दिनों के भीतर जवाब देना है। एसीबी अधिकारियों का एक दल दीक्षित के निजामुद्दीन इलाके में स्थित आवास पर पहुंचा और दिल्ली जल बोर्ड द्वारा 2012 में 385 टैंकरों की खरीद के संबंध में उनसे तकरीबन 15 मिनट तक पूछताछ की। उस वक्त वह दिल्ली की मुख्यमंत्री की हैसियत से दिल्ली जल बोर्ड की प्रमुख थीं। एसीबी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि एजेंसी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और जल संसाधन मंत्री कपिल मिश्रा से पूछताछ करने की योजना बना रही है, जिन्होंने पिछले साल कथित घोटाले की जांच के लिए तथ्यान्वेषी समिति का गठन किया था। उनकी रिपोर्ट के आधार पर जांच एजेंसी ने इसकी जांच शुरू की थी। दिल्ली भाजपा ने केजरीवाल और मिश्रा पर तथ्यान्वेषी समिति की रिपोर्ट एसीबी को भेजने में देरी करने का आरोप लगाया था।

एसीबी प्रमुख मुकेश मीणा ने कहा, ‘अधिकारियों के एक दल ने उनसे पूछताछ की। इसके अलावा उन्हें प्रश्नावली भी सौंपी।’ ऐसे आरोप हैं कि सरकार को टैंकरों की खरीद में कथित वित्तीय घपले की वजह से 400 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ। मामले की जांच कर रहे एसीबी के एक अधिकारी ने कहा कि दीक्षित से कहा गया है कि वो अगले दो-तीन दिन के भीतर 18 सवालों के जवाब दें। दीक्षित ने पूछताछ के समय पर सवाल उठाया और कहा कि उन्होंने एसीबी से कह दिया कि वह तत्काल सवालों के जवाब नहीं दे सकतीं। उन्होंने कहा, ‘मैंने जांच अधिकारियों से कहा कि मैं उनमें (सवालों में से) से किसी का भी जवाब नहीं दे सकती क्योंकि फैसले चार साल पहले किए गए थे। मुझे सारे विवरण याद नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मैं सवालों का जवाब देने के लिए समय ले सकती हूं।’

आरोपों को खारिज करते हुए दीक्षित ने कहा कि टैंकरों की खरीद के संबंध में सारे फैसले शीर्ष नौकरशाहों वाले बोर्ड, डीजेबी बोर्ड सदस्यों, नगर निकायों के अधिकारियों और विपक्षी भाजपा के प्रतिनिधियों ने किया था। उन्होंने निराधार आरोप लगाने के लिए आप सरकार की आलोचना की। अरविंद केजरीवाल नीत आम आदमी पार्टी सरकार ने पिछले साल जून में डीजेबी द्वारा खरीदे गए तकरीबन 385 स्टेनलेस स्टील पानी टैंकरों की खरीद में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए तथ्यान्वेषी समिति का गठन किया था।

दिल्ली सरकार ने इस साल जून में उपराज्यपाल नजीब जंग को तथ्यान्वेषी समिति की रिपोर्ट भेजी थी, जिसके बाद मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। एसीबी ने इसके बाद कहा था कि वह आरोपों के सिलसिले में दीक्षित से पूछताछ करेगी। दीक्षित का कहना है कि टैंकरों की खरीद में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ और उनके खिलाफ आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। एसीबी के दीक्षित से पूछताछ करने के बाद दिल्ली के जल संसाधन मंत्री कपिल मिश्रा ने आरोप लगाया कि जांच एजेंसी का उनके घर जाना महज औपचारिकता थी और उसपर पूर्व मुख्यमंत्री को बचाने का दबाव है।

मिश्रा ने भाजपा पर दीक्षित को बचाने का आरोप लगाया और मांग की कि उन्हें घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने एक वक्तव्य में कहा, ‘मैं मामले में शिकायतकर्ता हूं। एसीबी ने मुझे अपने कार्यालय में तलब किया था और मुझसे दर्जनों अधिकारियों की मौजूदगी में चार घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई। मुझसे पूरक प्रश्न पूछे गए और पूछताछ की गई और वहीं बयान पर हस्ताक्षर करवाया गया।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन दूसरी तरफ, उन्होंने दीक्षित को नहीं बुलाया बल्कि उनके घर गए और कोई पूछताछ नहीं की। वो वहां 20 मिनट तक रुके रहे और चाय पानी करने के बाद सवालों की सूची सौंपकर लौट आए।’ मिश्रा मामले में भाजपा पर दीक्षित का बचाव करने का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘यह दौरा महज औपचारिकता है। दीक्षित के खिलाफ भ्रष्टाचार के चार अलग-अलग मामले लंबित हैं और अब भी उनके खिलाफ कार्रवाई करने में इस तरह का डर। भाजपा उन्हें बचा रही है और एसीबी पर उन्हें बचाने का दबाव है।’