दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) से एक सॉफ्टवेयर बनाने को कहा है, जिससे लोग भगोड़े अपराधियों के नाम और विवरण व उनके ठिकानों के बारे में जानकारियां अपलोड की जा सकें। इससे पुलिस को उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई करने में मदद मिल सकेगी।
हाईकोर्ट ने कहा कि प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश (हेडक्वार्टर) की अध्यक्षता में अदालत की तरफ से नियुक्त समिति इससे जुड़े कामकाज की निगरानी करेगी। अदालत ने कहा कि डाटा को शुरुआत में आंतरिक सर्वर पर अपलोड किया जाएगा। सत्यापन के बाद एनआईसी के बनाए प्लेटफॉर्म पर इसे अपलोड किया जाएगा।
जस्टिस तलवंत सिंह ने एक आदेश में कहा कि एनआईसी भगोड़े अपराधियों व व्यक्तियों के नाम व अन्य विवरण अपलोड करने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करेगी। एनआईसी बुनियादी ढांचा, वेब स्पेस और अन्य सुविधाएं भी प्रदान करेगी। हाईकोर्ट ने कहा कि शुरू में भगोड़े अपराधियों के डाटा को आंतरिक सर्वर पर अपलोड किया जाए और इसकी पहुंच केवल अधिकृत व्यक्तियों तक ही होगी। सत्यापन के बाद ही इसे दिल्ली की जिला अदालतों के लिए एनआईसी के बनाए प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जा सकता है।
न्याय मित्र के रूप में पेश हुए थे सीनियर एडवोकट अरुण मोहन
सीनियर एडवोकट अरुण मोहन इस मामले में न्याय मित्र के रूप में पेश हुए। उन्होंने सॉफ्टवेयर बनाने की वकालत हाईकोर्ट से की थी। उनका कहना था कि बहुत से अपराधी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं, क्योंकि उनका डाटा हर जगह पर उपलब्ध नहीं हो पाता। अगर उनका सारा विवरण किसी एक जगह पर हो तो पुलिस को उन्हें पकड़ने में आसानी होगी।
जस्टिस तलवंत ने रिटायर होने से पहले जारी किया था आदेश
जस्टिस तलवंत सिंह पिछले महीने ही सेवानिवृत्त हुए थे। रिटायर होने से पहले उन्होंने आदेश दिया कि आपराधिक मामलों में भगोड़े अपराधियों/व्यक्तियों का डाटा अपलोड करने के लिए दिल्ली पुलिस और जिला अदालतें जिम्मेदार होंगी। इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम’ के निदेशक परियोजना के लिए हरसंभव तकनीकी और नीतिगत सहायता सुनिश्चित करेंगे।