केंद्र सरकार इस वर्ष ‘स्वयं ’ नामक एप के जरिए दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के तहत दस भाषाओं में 500 से अधिक कोर्स छात्रों को उपलब्ध करवाएगी। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में सोमवार (9 मई) को प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों के सवालों के जवाब में बताया, ‘मुक्त दूरस्थ शिक्षा को तकनीक से जोड़ते हुए केंद्र सरकार ने इस वर्ष ‘स्वंय’ एप के जरिए छात्रों को 500 से अधिक कोर्स उपलब्ध करवाने का फैसला किया है।’

उन्होंने बताया कि स्वयं नामक इस एप में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के जरिए कोर्सो को विकसित किया जाएगा। उन्होंने साथ ही बताया कि 500 से अधिक ये सभी कोर्स छात्रों को मुफ्त मुहैया कराए जाएंगे और शिक्षा के क्षेत्र में जिस क्रांति की उम्मीद की जा रही है वह इससे संभव होगी।

उन्होंने कहा कि दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम की समीक्षा एक सतत प्रक्रिया है और वर्ष 2014 में पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने इसे इग्नू से हटाकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के साथ जोड़ दिया था। इस क्षेत्र को लेकर कुछ आत्मचिंतन की जरूरत है तथा सरकार यूजीसी के साथ इस दिशा में काम कर रही है।

भारतीय शिक्षा के स्तर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे निचले दर्जे का बताए जाने संबंधी राजद सदस्य पप्पू यादव की बात को पूरी तरह खारिज करते हुए मंत्री ने कहा कि बहुत से छात्र और शिक्षक ऐसे हुए हैं जिन्होंने अपने काम से अंतरराष्ट्रीय शिक्षा जगत में ख्याति पाई है। ऐसे में यह कहना अनुचित है कि भारतीय शिक्षा विश्व स्तर में निचले दर्जे की है।

हालांकि स्मृति ईरानी ने इस बात से सहमति जताई कि भारतीय शिक्षा क्षेत्र में पाठ्यक्रमों के उन्नयन की जरूरत है। उन्होंने बताया कि इसके लिए मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ बातचीत चल रही है। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि देश के 62 जिले ऐसे हैं जिनमें अभी तक कोई नवोदय विद्यालय नहीं खोला गया है। उन्होंने कहा कि सरकार इन जिलों में इस साल ऐसे विद्यालय खोलने जा रही है। उन्होंने बताया कि इसी कदम के तहत अंडमान निकोबार द्वीप समूह में भी नवोदय विद्यालय खोला जाएगा।

केंद्रीय स्कूलों में सांसदों की सिफारिश पर किए जाने वाले दाखिले के कोटे राजग सरकार द्वारा छह से बढ़ाकर दस किए जाने का उल्लेख करते हुए ईरानी ने हालांकि इस कोटे में और वृद्धि किए जाने की संभावना से इनकार किया। उन्होंने कहा कि इससे इन विद्यालयों के ढांचे पर बोझ पड़ेगा और यह अंतत: छात्रों के लिए ही फायदेमंद नहीं होगा।