राजधानी नई दिल्ली की शान बताया जा रहा सिग्नेचर ब्रिज अब हादसों की वजह भी बन सकता है। कारण दिल्लीवासियों का सेल्फी प्रेम है। पुल की विशिष्ट डिजाइन और खूबियों की वजह से रोज शाम को पुल पर सेल्फीप्रेमियों का जमावड़ा लग रहा है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बीच पुल पर इस तरह से खड़े होकर सेल्फी लेना कभी भी बड़े हादसे की वजह बन सकता है।
बीते रविवार (4 नवंबर, 2018) को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा उद्घाटित किया गया सिग्नेचर ब्रिज असिमेट्रिकल केबल वाला भारत का पहला ओवरब्रिज है। ये ओवरब्रिज आउटर रिंग रोड को वजीराबाद से जोड़ता है। इस ब्रिज के विशिष्ट आकार और ऊंचाई से आकर्षित दिल्लीवासियों ने अब इस ब्रिज को बतौर सेल्फी प्वाइंट इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कई लोगों को तारों पर तो कई लोगों को कार की खिड़की से स्टंट करते हुए भी सेल्फी लेते देखा गया है।
People risk their lives to click pictures at newly-inaugurated Signature Bridge in Delhi; #visuals from last night pic.twitter.com/slI35essc2
— ANI (@ANI) November 10, 2018
इस पुल के निर्माताओं को दिल्लीवासियों के सेल्फीप्रेम का अंदाजा रहा होगा। इसीलिए इस विशाल और भव्य ब्रिज पर 154 मीटर की ऊंचाई पर ग्लास का बॉक्स बनाया जा रहा है, जिसकी ऊंचाई कुतुब मीनार से दोगुनी है। जनता इस बॉक्स में चार हाईस्पीड एलिवेटर की मदद से पहुंचेंगे और वहां से दिल्ली का भव्य नजारा देख सकेंगे। लेकिन ये बॉक्स फरवरी में शुरू किए जाने की योजना है। लेकिन फरवरी तक इंतजार न कर पाने वाले लोग अभी से सेल्फी के इंतजाम में जुट गए हैं।
हवा में झूलते वाले इस ब्रिज को बूमरैंग के आकार वाली 19 स्टे केबल्स ने थाम रखा है। इस विशाल पुल की लंबाई 575 मीटर है। इस ब्रिज के शुरू होने से दिल्ली के उत्तरी और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के लोगों को यातायात सुविधा में राहत मिलेगी। 45 मिनट का सफर 10 मिनट में पूरा होगा। वहीं कश्मीरी गेट पर भी ट्रैफिक से निजात मिलेगी। करनाल से आने वाला ट्रैफिक डायवर्ट होगा। दिल्ली से लोनी और गाजियाबाद जाने में समय कम लगेगा। करीब अाधे घंटे का समय बचेगा।
दरअसल, संकरे वजीराबाद पुल पर एक दुर्घटना के बाद सिग्नेचर ब्रिज परियोजना को 1997 में मंजूरी मिली थी। एक स्कूली बस के यमुना नदी में गिर जाने से 22 बच्चे मारे गए थे। 2004 में ये प्रोजेक्ट शुरू हुआ था। अपर्याप्त धन के कारण इस पुल के निर्माण में इतने सालों की देरी हुई। यहां तक कि परियोजना की लागत 1,100 रुपये से बढ़कर 1,575 करोड़ रुपये हो गई। लेकिन अब 14 साल बाद इसका उद्घाटन हुआ है।