अग्निपथ स्कीम को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन का दौर चल रहा है तो दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगनी भी शुरू हो गई हैं। इस मामले में दूसरी जनहित याचिका आज सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई। इसमें स्कीम को देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बता इसे रद्द करने की अपील कोर्ट से की गई है।
याचिका में कहा गया है कि सेना में नाम नमक और निशान की परंपरा लंबे समय से है। क्या ये स्कीम इसे आगे बढ़ाने में कारग साबित होगी। सेना की बटालियन इसे काफी अहमियत देती हैं। इसमें सवाल पूछा गया है कि चार साल की ट्रेनिंग के बाद क्या अग्निवीर सेना के दूसरे जवानों जैसे होंगे। अर्ध प्रशिक्षित सैनिक देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा हो सकते हैं।
PIL दाखिल करने वाले एडवोकेट का दावा है कि सरकार पेंशन खर्च को कम करने के लिए ये कदम उठा रही है। यानि साफ तौर पर आर्थिक मामलों को देश की सेना के ऊपर तरजीह दी जा रही है। इससे सुरक्षा को बड़ा खतरा हो सकता है। अग्निवीरों के लिए LIC से 48 लाख का बीमा कराया जा रहा है। क्या ये चीज सेना के साथ एक बचकाना प्रयोग नहीं है।
Second PIL filed in #SupremeCourt challenging #AgnipathScheme.
The petition filed by a lawyer raises following issues: pic.twitter.com/urDm70ozbn
— Live Law (@LiveLawIndia) June 20, 2022
याचिका में कहा गया है कि रिटायर सैनिकों के लिए पहले ही देश में नौकरी के मौके नहीं हैं। ऐसे में जब अग्निवीर चार साल बाद वापस आएंगे तो क्या उन्हें आजीविका कमाने का सम्मान जनक मौका मिलेगा। अगर नहीं तो ये सैनिक नक्सल या दूसरे हिंसक आंदोलनों में शरीक हो सकते हैं। ये देश और समाज के लिए बड़ा खतरा होगा। इसमें पूछा गया है कि पांच साल की नौकरी के बाद मिलने वाली ग्रेच्युटी अग्निवीरों को मिलेगी।
एडवोकेट एमएल शर्मा की तरफ से दायर एक अन्य याचिका में भारत सरकार की डिफेंस मिनिस्ट्री को प्रतिवादी बनाया है और अग्निपथ स्कीम को खारिज करने की गुहार लगाई है। याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में कहा है कि 14 जून 2022 को फैसला लिया कि अग्निपथ योजना के जरिये अग्निवीरों को चार साल के लिए रखा जाएगा। इनमें से 25 फीसदी को स्थायी किया जाएगा बाकी 75 फीसदी को नहीं रखा जाएगा। चार साल तक वेतन आदि जो भी मिलेगा उसके बाद कोई पेंशन आदि नहीं होगा।