डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देते हुए अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल का दंभ भरने वाली दिल्ली पुलिस के सीसीटीवी कैमरे ‘हाथी के दांत’ साबित हो रहे हैं। आतंकवादी-उग्रवादी और आपराधिक वारदातों के निशाने पर रही दिल्ली के थानों के कैमरे या तो खराब पड़े हैं या उसकी रिकार्डिंग की व्यवस्था चरमराई हुई है। कई जगह रखरखाव एजंटी का ठेका खत्म हो चुका है तो कहीं सीसीटीवी दिखने भर को लगा हुआ है। सीडीआर कैमरा तो अमूमन कहीं है ही नहीं। फिर भी ऐसा नहीं है कि पूरी दिल्ली से सीसीटीवी नदारद है। पुलिस मुख्यालय, स्पेशल ब्रांच, पीटीसी झरौंदा कलां, लाइसेंसिंग और आर्थिक अपराध शाखा सरीखे कुछ यूनिटों में सीसीटीवी लगे हैं और इनकी रिकार्डिंग भी होती है। हरियाणा की सीमा से सटे उत्तरी जिले के बुराड़ी थाना को छोड़कर सभी थाने में चार सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। इन कैमरों के रखरखाव की जिम्मेवारी मेसर्स शिवम आईटी सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के पास है। जिसकी मरम्मत और रखरखाव का वार्षिक ठेका खत्म हो चुका है। पॉश इलाके में शुमार दक्षिणी दिल्ली की हालत दुखद है। जिले में कुल 16 थाने में हैं जिनमें किसी भी थाने में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं। पहले दस थानोें में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। जिनमें न तो रिकार्डिंग की सुविधा थी और न वे ठीक से चल रहे थे। लिहाजा इनकी कोई उपयोगिता नहीं समझकर इन्हें हटा दिया गया।

आधुनिक तकनीक पर आधारित सीसीटीवी के लिए मुख्यालय के रसद व आपूर्ति विभाग में फाइल विचाराधीन है। पब्लिक प्रोटेक्शन मूवमेंट संस्था के जीशान हैदर को सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी चौंकाने वाली है। दक्षिण-पूर्वी जिले में 427 कैमरे आनन-फानन में लगाए गए लेकिन 113 कैमरे खराब हो गए। सबसे संवेदनशील जगहों में शुमार इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लगे चार और घरेलू हवाई अड्डे पर लगे तीन कैमरे खराब हैं। यहां लगे कैमरे का रिकार्ड नहीं रखा जाता और वे सिर्फ सिस्टम पर देखने भर के लिए हैं। खूनी सड़क का रूप ले चुकी राजधानी की सड़कों पर ट्रैफिक पुलिस कितना गंभीर है उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ट्रैफिक के दक्षिणी रेंज, मध्य रेंज, पश्चिमी, उत्तरी के किसी भी कार्यालय में कोई भी कैमरा नहीं लगा हुआ है। बाहरी परिक्षेत्र के उपायुक्त और सहायक पुलिस आयुक्त व किसी भी सर्किल के कार्यालय में भी कैमरे नहीं लगे हैं। सर्तकता शाखा अछूता क्यों रहे, सो यहां भी सीसीटीवी कैमरे लगाने की जरूरत नहीं समझी गई है। इसी तरह दिल्ली सशस्त्र पुलिस के प्रथम वाहिनी में न तो सीसीटीवी न ही सीडीआर लगाए गए।

वीवीआइपी सरीखे मूवमेंट से हमेशा चर्चा में रहने वाले नई दिल्ली क्षेत्र में भी सीसीटीवी लगाने की जरूरत नहीं समझी गई है। प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय में भेजा गया है। अपराध शाखा के दो थाने अपराध शाखा थाना और ई-पुलिस स्टेशन में भी कैमरे लगाने की जरूरत महसूस नहीं की गई है। नवनिर्मित शाहदरा जिले में कैमरे तो लगाए गए हैं पर रिकार्डिंग की सुविधा नहीं है न ही सीडीआर लगाए गए हैं। रेलवे के थानों में 15 कैमरे लगाए गए थे जिनमें 13 खराब हैं। जो दो काम भी कर रहे उसमें रिकार्डिंग की सुविधा नहीं है। चतुर्थ बटालियन में भी कोई कैमरा नहीं है। डीई सेल बाराखंभा रोड में भी सीसीटीवी की जरूरत नहीं समझी गई है। राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा में दिल्ली पुलिस की एक छोटी सी भूमिका होती है। इस भूमिका में पुलिस ने अपनी ओर से कोई कैमरा नहीं लगा रखा है। पश्चिमी जिले के किसी भी थाने में सीसीटीवी नहीं है।

दक्षिणी पश्चिम जिले के दिल्ली कैंट, झरोंदा कलां, कापसहेड़ा, पालम गांव में चार-चार कैमरे लगाए गए थे जो इस समय काम नहीं कर रहा जबकि इसी जिले के द्वारका सेक्टर-23 और डाबड़ी में लगे चार और 30 कैमरे काम कर रहे। इसी प्रकार पूर्वी जिला के सभी थानों में 28 सरकारी सीसीटीवी लगे तो हैं पर सभी अपनी समय सीमा पूरी कर चुके हैं और इनके बदलाव के लिए मुख्यालय के पीएंडएल इकाई को सूचित किया जा चुका है। इन सभी में कोई रिकार्डिंग की सुविधा नहीं है। संचार एवं संचालन युनिट के दफ्तर में कोई कैमरा नहीं है, अलबत्ता इतना जरूर है कि इसी युनिट की एक शाखा जो पुलिस मुख्यालय में है वहां सभी जिलों के मुख्य बाजारों और चेक पोस्ट पर लगे कैमरे की 15 दिन के रिकार्ड का जिम्मा जरूर संभाले हुए हैं।