राजेंद्रनगर विधानसभा क्षेत्र में बीते दिनों सत्ता पक्ष के नेताजी के साथ एक ऐसी घटना घटित हुई, जो कि इलाके में चर्चा का विषय बन गई। नेताजी अपने समर्थकों के साथ जनसंपर्क कर रहे थे। इस दौरान वह लोगों की लगी एक भीड़ के पास पहुंचते हैं और अपनी सरकार के किए गए कार्यों के बारे में अगवत करवाने की कोशिश करते हैं। पर इसी बीच एक शख्स गंदा पानी का बाल्टी लेकर आता है और कहता बीते कई दिनों से इलाके में गंदा पानी आ रहा है। इस समस्या के समाधान को लेकर आपके पास क्या योजना है।

यह बात सुनते ही नेताजी उल्टे पैर भागने को विवश हो जाते हैं। हालांकि, यह पूरी घटना वहां मौजूद लोग अपने मोबाइल छात्र संघ चुनाव में उसके सहयोगी दल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को आधी-अधूरी जीत मिली। दोनों की हार के अनेक कारण माने जा रहे हैं। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इसका सीधा कारण दिल्ली भाजपा अध्यक्ष नहीं हैं, लेकिन जीत का सेहरा प्रदेश अध्यक्ष के सिर बंधे और हार का ठीकरा किसी दूसरे पर फोड़ा जाए, यह तो कहीं से भी मुनासिब नहीं है। इसलिए अब तो यही लग रहा है कि मनोज तिवारी को ग्रह शांति की पूजा करवानी चाहिए, तभी शायद उनके खिलाफ जाने वाले ग्रह शांत हो पाएंगे।

विभाग और विधायक

दिल्ली की सत्ता पर काबिज पार्टी के पास भले ही कहने को ढेर सारे विधायक हों लेकिन उनको एक अदद मंत्री के लिए अपनी पार्टी का जीता हुआ कोई विधायक खोजे नहीं मिलता। एक मंत्री से किसी कारण कोई विभाग छिना तो पहले से कई विभागों के बोझ से लदे दूसरे मंत्री के पास उसे भेज दिया जाता है। अब स्वास्थ्य मंत्री का ही विभाग लीजिए। हाल ही में उनपर शिकंजा क्या कसा, सारे विभाग से पैदल कर दिए गए! होना भी चाहिए, ईडी की रिमांड पर जो हैं मंत्रीजी। लेकिन उनके विभाग उस मंत्री को दिए गए जिनके पास पहले से ही करीब एक दर्जन विभाग थे।

अब वो 18 विभाग के मंत्री हो गए है! राजनीतिक गलियारे में जहां मंत्रीजी की गिरफ्तारी की चर्चा हो रही है वहीं उनके विभागों को खास मंत्री को सौंपने की चर्चा भी हो रही है! दरअसल, जैन साहब के विभागों में से कुछ विभाग पाने की ललक में और भी नेता आस लगाए बैठे थे लेकिन ऐसा हो न सका। बहरहाल, विभाग पाने की आस रखने वाले अभी निराश नहीं हैं! उनके गुट का मानना है कि कहीं दूसरी गिरफ्तारी हुई तब तो शत फीसद उनके पास भी ‘बड़ा महकमा’ आएगा!

बने ‘अनकल्चर्ड’!

ये दिल्ली है! यहां जरा सा अधिकार इंसान को आपे से बाहर कर सकता है। पिछले दिनों दिल्ली में एक अधिकारी का रौब सबने देखा। उनकी चर्चा हुई और उनके कुत्ते की भी। अब उन्हें दिल्ली से दूर लद्दाख भेज दिया गया है। अब दिल्ली पुलिस के एक जाबांस पुलिस अफसर की चर्चा शुरू हो गई है। चर्चा उस उपायुक्त को लेकर है जो सिंघम बनने की लालसा लिए लगातार काम कर रहे थे। करीब छह महीने पहले पुलिस मुख्यालय में एक कांफ्रेस में इस आइपीएस को सुनने का बेदिल को मौका मिला था।

भाषा ऐसी लच्छेदार कि खबरदार बदमाशों, आप जहन्नुम में भी रहेंगे तो वहां से भी निकाल लिया जाएगा, जैसे शब्दों के बाद तो यही लग रहा था कि शायद उन्हें राजधानी की पुलिसिया व्यवस्था की पूरी जानकारी नहीं है। और फिर वही हुआ जिसका अंदेशा था। ‘अनकल्चर्ड’ नाम वाले एक ऐसे रेस्टोरेंट से उनका पाला पड़ा कि खुद ‘कल्चर्ड’ यानी सभ्य से ‘अनकल्चर्ड’ असभ्य बनते देर नहीं लगी। वे सिंघम बनते-बनते पुलिस मुख्यालय के एक कमरे में बैठने वाले अधिकारियों में शुमार हो गए।

बदलाव का नजारा

प्रदेश सरकार के नजदीक रहे ग्रेटर नोएडा के सीईओ के तबादले के साथ ही अधीनस्थ अधिकारियों की एक नई लाबी हावी हो गई है। पूर्व सीईओ के नजदीक रहे खास अधिकारी नए निजाम के सामने अपने आप को काफी पीछे पा रहे हैं। वहीं, पिछले कार्यकाल में अलग- थलग पड़े पीसीएस, डीजीएम, जीएम स्तर के अधिकारी अब एकाएक बेहद सक्रिय हो गए हैं।

यहां तक कि अमूमन प्राधिकरण की प्रत्येक महत्त्वपूर्ण बैठक में मौजूद रहने वाले एक डीजीएम स्तर के अधिकारी पिछले कुछ दिनों से होने वाले आम से लेकर खास बैठकों तक नदारद रहे। प्राधिकरण में सबसे महत्त्वपूर्ण औद्योगिक विभाग के प्रभारी पूर्व सीईओ के सबसे खासमखास माने जाते थे। उन दिनों उनकी तूती प्राधिकरण में बोलती थी, लेकिन इन दिनों वे हाशिए पर पहुंच गए हैं।
-बेदिल