राज्यसभा ने बुधवार (28 मार्च) को रिटायर हुए 60 सदस्यों को विदाई दी। प्रधानमंत्री, सभापति नेता विपक्ष ने उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। इस मौके पर सदन से रिटायर हो रहे सदस्यों ने भी अपने विचार रखे और सदन में अपने सफर को याद किया। सदन से रिटायर हो रहे सांसदों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता देवी प्रसाद (डी पी) त्रिपाठी भी शामिल थे। डीपी त्रिपाठी ने महाकवि कालिदास की पंक्तियों से अपने संबोधन को शुरू किया और कहा कि प्राप्ति से बेहतर त्याग होता है। उन्होंने कहा कि सियासत में उन्होंने 50 साल पूरे कर लिये हैं, जब वे 1968 में 10वीं में पढ़ते थे तो उन्होंने पहली बार प्रदर्शन किया था और आज 2018 है।
डी पी त्रिपाठी ने कहा कि उन्हें खासकर आपातकाल के वो दिन याद आते हैं जब साढ़े चार महीने भूमिगित रहने के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई थी, और उन्हें तिहाड़ जेल ले जाया गया था तो इस दौरान जेल में स्वागत करने वाला शख्स सदन में आज भी मौजूद है। डीपी त्रिपाठी ने कहा, “लाल किले में जांच के बाद मुझे तिहाड़ ले जाया गया तो सुबह साढ़े चार बजे वहां मेरा स्वागत करने वाले व्यक्ति आज इस सदन के नेता हैं श्री अरुण जेटली, जिन्होंने कहा, आ गये, बहुत देर से इंतजार था, बैठो-बैठो, ऐसा साथ रहा है।”
डीपी त्रिपाठी ने कहा कि आज जब इस सदन से जाने का वक्त है तो सभी को विचार करने की जरूरत है कि हम करने में कामयाब हुए हैं, और क्या नहीं कर सके हैं। डीपी त्रिपाठी ने सदन के सुचारू रूप से ना चल पाने पर भी नाराजगी जताई और इसे दूर करने के लिए उपाय ढूढ़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि पिछले 6 साल में इस सदन का लगभग 48 फीसदी समय हंगामें में बर्बाद हुआ है। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही को बाधित करना एक तरह से रणनीति बन गई है। राकांपा के डी पी त्रिपाठी ने सदन में अपने अनुभवों की चर्चा करते हुए इस बात पर अफसोस जताया कि संसद में मीडिया, न्यायपालिका, सेक्स आदि विषयों पर चर्चा क्यों नहीं होती है। उन्होंने कहा कि जिस देश में कामसूत्र लिखा गया और वात्सायायन को ऋषि का दर्जा दिया गया, उस देश की संसद में सेक्स पर गरिमामयी तरीके से चर्चा क्यों नहीं हो पाती है? उन्होंने सभापति से कहा कि जो सदस्य आसन के समक्ष नहीं जाते, आसन को उनका विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस मौके पर डी पी त्रिपाठी ने अपने ओजस्वी भाषण से सदन में मौजूद लोगों की खूब वाह-वाही बटोरी।

