असेंबली चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी समेत कई दलों ने लोगों को लुभाने के लिए कई ऐलान किए। हालांकि बीजेपी के साथ नौकरशाहों को भी लगता है कि ये गलत है। पीएम मोदी के साथ मीटिंग में नौकरशाहों ने योजनाओं पर चिंता जताई और कहा कि ये आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं हैं। उन्हें श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं। हालांकि ये साफ नहीं हो सका है कि नौकरशाहों का इशारा कौन सी योजनाओं की तरफ था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ बैठक रविवार को हुई। मोदी ने शनिवार को 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने शिविर कार्यालय में सभी विभागों के सचिवों के साथ चार घंटे की लंबी बैठक की। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा केंद्र सरकार के कई अन्य शीर्ष नौकरशाह भी शामिल हुए।
दो सचिवों ने हाल के विधानसभा चुनावों में एक राज्य में घोषित एक लोकलुभावन योजना का उल्लेख किया जो आर्थिक रूप से खराब स्थिति में है। उन्होंने अन्य राज्यों में इसी तरह की योजनाओं के ऐलान का हवाला देते हुए कहा कि ये सूबे आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं। ऐसे वायदे राज्यों को श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकते हैं।
गौरतलब है कि श्रीलंका वर्तमान में इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। लोगों को ईंधन, रसोई गैस के लिए लंबी लाइनों में लगना पड़ रहा है। आवश्यक चीजों की आपूर्ति कम है। साथ ही लोग लंबे समय तक बिजली कटौती के कारण हफ्तों से परेशान हैं।
इससे पहले बैठक के दौरान मोदी ने नौकरशाहों से कहा कि कोरोना के दौरान सचिवों ने जिस तरह से साथ मिलकर एक टीम की तरह काम किया, उन्हें वैसे ही काम करना चाहिए। उन्हें भारत सरकार के सचिवों के रूप में कार्य करना चाहिए न कि केवल एक विभाग के प्रभारी के रूप में। उन्होंने सचिवों से सरकार की नीतियों में खामियों पर सुझाव देने के साथ फीडबैक देने के लिए भी कहा। 2014 के बाद से प्रधानमंत्री की सचिवों के साथ यह नौवीं बैठक थी।