शादी से लौट रहे रोहिणी के एक परिवार के तीन सदस्यों की डंपर के टक्कर से हुई मौत ने दिल्ली पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है। एक साल पहले तक एक आइएएस अधिकारी के खौफ के चलते पूरी तरह से नियंत्रण में रहने वाले डंपर अब फिर से बेलगाम हो गए हैं। डंपरों पर नियंत्रण होता तो शायद सुभाष सिंघल का परिवार न उजड़ता। मां, बेटे और बहु की असमय मौत से इलाके के लोगों में पुलिस के प्रति गुस्सा है। जिस डंपर से यह हादसा हुआ वह हरियाणा नंबर का है।

दिल्ली के लगभग हर इलाके में रेत से भरे डंपर ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए क्षमता से ज्यादा वजन लेकर पूरी रात सड़कों पर दौड़ते हैं। इनकी वजह से हुई दुर्घटनाओं में आए दिन बेकसूर लोगों की जान जाती है। हालांकि दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता ने बुधवार को अपनी दलील में कहा है कि तुलनात्मक रूप में डंपर से हुए हादसे पहले कम हुए हैं। बीते साल एक जनवरी से 31 दिसंबर तक 1395 डंपरों के चालान काटे गए। वहीं, इस साल एक जनवरी से 15 फरवरी तक 53 डंपरों का चालान किया गया है।

दिल्ली पुलिस अगर मुस्तैद हो जाए तो बदरपुर से लेकर बख्तावरपुर तक और मयूर विहार से लेकर वजीराबाद तक अवैधर रूप से चलने वाले रेत से भरे ट्रकों और डंपरों को आसानी से रोका जा सकता है। पिछले साल दिल्ली में इन बेलगाम घूमते डंपरों पर नकेल कसने का बीड़ा रोहिणी और पंजाबी बाग के एसडीएम रहे आइएएस अधिकारी संतोष राय ने उठाया था।

उन्होंने अपने स्टाफ के साथ बड़ी संख्या मे डंपरों धर पकड़ की थी। लोगों का कहना है अब फिर से दिल्ली में स्थिति बिगड़ गई है और ये बेलगाम डंपर राजधानी की सड़कों पर मौत बनकर दौड़ रहे हैं। मेवात से बदरपुर पत्थर लेकर भी काफी डंपर दिल्ली में आते हैं, मगर रात में इन पर कोई नियंत्रण नहीं होता है। बहुत से डंपरों के चालक तो नशे में होते हैं। बाहरी क्षेत्र के उपायुक्त राकेश पावरिया का कहना है कि दिल्ली यातायात पुलिस चौबीस घंटे पूरी मुस्तैदी के साथ अपने काम में जुटी रहती है। यातायात नियमों का पूरी तरह से पालन हो इसका हम हर संभव प्रयास करते हैं। जो इनका पालन नहीं करता है उनका नियम अनुसार चालान भी होता है और वाहनों को जब्त भी किया जाता है।