टाइगर हिल पर भारतीय सैनिकों के साथ पाकिस्तानी सेना के जवानों ने किस कदर बर्बरता की थी, इसे कैप्टन योगेंद्र यादव ने कलमबंद किया है। द हीरो ऑफ टाइगर हिल्स में वो लिखते हैं कि कैसे पाकिस्तानी सैनिकों ने गोली मारकर उनकी एके-47 छीन ली थी। वो लाशों पर भी बर्बरता से गोलियां बरसा रहे थे।
किताब में पूरा किस्सा बयां किया गया है। कैप्टन लिखते हैं कि 5 जुलाई को 18 ग्रनेडियर्स के 25 सैनिक टाइगर हिल्स की तरफ बढ़े। पाकिस्तानियों ने उन पर जबरदस्त गोलीबारी की। पांच घंटे तक लगातार गोलियां चलीं। 18 भारतीय सैनिकों को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा। अब वहां सिर्फ 7 भारतीय सैनिक बचे थे।
उनमें से एक थे बुलंदशहर के रहने वाले 19 साल के ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव। वो याद करते हैं, कि हमने पाकिस्तानियों पर बहुत पास से गोली चलाई और उनमें से आठ को नीचे गिरा दिया, लेकिन उनमें से दो लोग भागने में सफल हो गए। उन्होंने ऊपर जाकर अपने साथियों को बताया कि नीचे हम सिर्फ सात हैं।
बकौल योगेंद्र थोड़ी देर में पाकिस्तानियों ने हम पर हमला किया और हमें चारों तरफ से घेर लिया। मेरे सभी छह साथी मारे गए। मैं भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों की लाशों के बीच पड़ा हुआ था। पाकिस्तानियों का इरादा सभी भारतीयों को मार डालने का था इसलिए वो लाशों पर भी गोलियां चला रहे थे।
वो अपनी आँखें बंद कर अपने मरने का इंतजार करने लगे। उनके पैर, बांह और शरीर के दूसरे हिस्सों में करीब कई गोलियां लगीं थीं। लेकिन फिर भी वो अभी तक जिंदा थे, क्योंकि उनके सिर व छाती पर वार नहीं हुआ था। एक पाकिस्तानी जवान ने उनके सीने को निशाना बनाकर गोली चलाई लेकिन जेब में पड़े सिक्कों की वजह से गोली बेअसर हो गई।
योगेंद्र बताते हैं, पाकिस्तानी सैनिकों ने हमारे सारे हथियार उठा लिए। लेकिन वो उनकी जेब में रखे ग्रेनेड को नहीं ढूंढ पाए। उन्होंने अपनी सारी ताकत जुटा कर अपना ग्रेनेड निकाला उसकी पिन हटाई और आगे जा रहे पाकिस्तानी सैनिकों पर फेंक दिया। वो ग्रेनेड एक पाकिस्तानी सैनिक की जैकेट में फंस गया। लेकिन वो कुछ समझ पाता कि उसके चिथड़े उड़ गए।
योगेंद्र बताते हैं कि मैंने एक पाकिस्तानी सैनिक की लाश के पास पड़ी हुई रायफल उठा ली थी। मेरी फायरिंग में चार पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। वो लोकेशन बदल-बदल कर फायरिंग कर रहे थे। पाकिस्तानियों को लगा कि भारतीय फौज आ गई है। वो ऊपर की तरफ भागे। योगेंद्र का कहना है कि उनका हौसला टूट गया था। ध्यान रहे कि योगेंद्र यादव को उनकी असाधारण वीरता के लिए भारत का सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र दिया गया।