नूपुर शर्मा प्रकरण के बाद बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व छाछ को भी फूंक मारकर पीने को विवश है। कुछ समय पहले तक एक समुदाय विशेष के खिलाफ कुछ भी बोलनो को नजरंदाज करने वाले केंद्रीय नेतृत्व का साफ इशारा है कि संवेदनशील मुद्दे पर सूबाई नेता और प्रवक्ता अपनी जुबान बंद रखें। अगर बात करनी है तो सबका साथ सबका विकास के नारे की करें।
मध्य प्रदेश के एक नेता कहते हैं कि पीएम मोदी खुद इस बात को कह चुके हैं कि पार्टी के नेता ऐसा कोई काम न करें जिससे सरकार का एजेंडा पटरी से उतरे या फिर सरकार या पार्टी को लोगों के बीच रक्षात्मक होना पड़े। उनका कहना है कि बीजेपी सबका साथ सबका विकास और विश्वास के नारे के साथ आगे बढ़ रही है। यानि देश के सभी लोगों का विश्वास जीतना। ऐसे में कोई भी विवादित बयान पार्टी को शर्मसार कर सकता है। उनका कहना है कि सरकार तमाम ऐसे काम कर रही है जिन पर खुलकर बोला जा सकता है। मुस्लिमों को बेवजह टारगेट करने से कुछ नहीं होगा। हमें उनकी महिलाएं समर्थन करती हैं।
वीडी शर्मा (मप्र के अध्यक्ष) कहते हैं कि बीजेपी मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है। जब वो संघ में थे तो कई मुस्लिम वहां आया करते थे। हम इकट्ठे भारत माता की जय बोलते थे। एक अन्य वरिष्ठ नेता का कहना है कि हम सभी को कहा गया है कि विभाजनकारी राजनीति से किनारा करें। सांप्रदायिक मसले पर कुछ भी बोलने से बचना होगा। ये हमें खराब कर सकता है। बीजेपी के प्रवक्ता हितेश वाजपेयी कहते हैं कि हमें ऐसे मुद्दों से बचना चाहिए। विकास ही हमारा एजेंडा होना चाहिए।
मप्र के अलावा दूसरे कई सूबे इसी राह पर हैं। कर्नाटक में फैसला हुआ है कि कोई भी नेता नूपुर शर्मा मामले पर न तो बोलेगा और न ही किसी टीवी डिबेट में हिस्सा लेगा। पीएम मोदी के साथ सारी सरकार इस मामले से आहत है। यूपी बीजेपी का भी ये ही हाल है। कानपुर हिंसा के बाद सभी नेताओं को सख्त हिदायत दी गई थी कि वो उस पर बात न करें। उनका कहना है कि ऐसे मामले बेकार की बहस खड़ी करते हैं।