राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने एक याचिका पर आर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) के प्रमुख श्रीश्री रवि शंकर से जवाब मांगा है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि आध्यात्मिक गुरु ने इसके पहले के आदेश को राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया था। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाले एक पीठ ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि श्रीश्री दो हफ्ते के भीतर याचिका पर जवाब दाखिल करें। याचिका में आरोप लगाया गया है कि उन्होंने 11 मार्च से यहां शुरू हुए तीन दिन के सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए पर्यावरण मुआवजे के तौर पर पांच करोड़ रुपए जमा करने के एओएल को दिए गए आदेश के प्रति असम्मान दिखाया।
सुनवाई के दौरान वादी का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने मीडिया में आई खबरों का जिक्र किया और कहा कि कथित तौर पर अधिकरण को नाराज करने और न्याय में दखल देने के लिए आध्यात्मिक गुरु के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। पीठ ने कहा, ‘इस याचिका का जवाब दाखिल होने दीजिए फिर हम कानून के मुताबिक मामले को आगे बढ़ाएंगे। इस मामले को 25 मई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है।’ सुनवाई के दौरान इसने पूछा कि क्या ऐसा बयान श्री श्री ने दिया था या यह सिर्फ मीडिया में आया था।
एओएल के वकील ने पीठ को बताया कि याचिका सिर्फ मीडिया में आई खबरों पर आधारित है और श्री श्री ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया था। इस बीच, अधिकरण ने एओएल की इस याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया जिसके तहत यमुना की जैव विविधता को नुकसान पहुंचाने के लिए लगाए गए जुर्माने को पांच करोड़ में 4.75 करोड़ रुपए की शेष राशि की अदायगी के बजाय बैंक गारंटी के रूप में स्वीकार करने के लिए इसकी सहमति मांगी गई है।