राष्‍ट्रीय हरित अधिकरण ने दिल्‍ली सरकार को ऑड-इवन के मसले पर लताड़ लगाई है। न्‍यायालय ने आदेश दिया है कि दिल्‍ली सरकार राजधानी में वायु प्रदूषण की चिंताजनक स्थिति पर सभी संबंधित अधिकारियों की बैठक कर एक हल निकालने को कहा है। दिल्‍ली सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया था कि ऑड-इवन योजना प्रदूषण पर लगाम लगाने में मददगार साबित नहीं हुई। जिसके बाद एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस स्‍वतंत्र कुमार की अध्‍यक्षता वाली बेंच ने दिल्‍ली के मुख्‍य सचिव, दिल्‍ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी और अन्‍य हितधारकों को ऐसी बैठक बुलाने का निर्देश दिया है। केन्‍द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा था कि दिल्‍ली में अप्रैल में ऑड-इवन योजना के दूसरे सप्‍ताह के दौरान वायु की गुणवत्‍ता में कोई सुधार नहीं हुआ। इसके उलट, बोर्ड की रिपोर्ट ने कहा कि ऑड-इवन लागू करने के समयकाल में दिल्‍ली की परिवेशी वायु गुणवत्ता और घट गई। मतलब दिल्‍ली में आम दिनों के मुकाबले ऑड-इवन योजना लागू होने के दौरान प्रदूषण और बढ़ गया।

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बेंच ने आदेश में कहा, ”CPCB के वकील ने निर्देश पर कहा है कि ऑड-इवन योजना लागू होने के दौरान दिल्‍ली की परिवेशी वायु गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ है… राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र के मुख्‍य सचिव दिल्‍ली में परिवेशी वायु गुणवत्ता के संबंध में एक बैठक करेंगे।” मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 सितंबर की तारीख मुकर्रर की गई है।

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इससे पहले 20 जुलाई को, न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्‍ली में प्रदूषण कम करने के लिए डीजल वाहनों पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। पीठ ने कहा था- ‘15 साल से ज्यादा पुराने सभी डीजल वाहन, जो बीएस-1, बीएस-2 हैं उनको हटाया जाएगा और कोई अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी नहीं होगा।’ पीठ ने अपने उस पहले के आदेश को स्पष्ट किया जिसमें उसने दिल्ली सरकार को आदेश दिया था कि वह शहर में चलने वाले 10 साल से ज्यादा पुराने सभी डीजल वाहनों का पंजीकरण रद्द करे।