दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय की न्यायिक हिरासत में हैं। 16 अगस्त को सुनवाई के दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि वह अनुच्छेद 226 के तहत अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए आम आदमी पार्टी विधायक सत्येंद्र जैन को “विकृत व्यक्ति” के रूप में घोषित नहीं कर सकते या उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित नहीं कर सकते हैं।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने फैसले में कहा कि सत्येंद्र जैन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अभियोजन का सामना कर रहे हैं।

कोर्ट ने कहा, “हालांकि तथ्य यह है कि दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 अपने आप में एक पूर्ण संहिता है जो जांच और परीक्षण के संबंध में एक तंत्र प्रदान करती है। दंड प्रक्रिया संहिता सभी आकस्मिकताओं को पूरा करती है और यह अभियोजन/अदालत के लिए कानून के अनुसार उचित कदम उठाने के लिए है।”

अदालत ने 16 अगस्त को याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि सत्येंद्र जैन ने पूछताछ के दौरान ईडी के अधिकारियों से कहा था कि उन्होंने कोविड के कारण अपनी याददाश्त खो दी है। अदालत ने तब अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा था कि हम उचित आदेश पारित करेंगे। याचिका अब खारिज कर दी गई है।

याचिकाकर्ता आशीष कुमार श्रीवास्तव, जिन्होंने कहा कि वह (सत्येंद्र जैन) एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। याचिकाकर्ता ने सत्येंद्र जैन की चिकित्सा स्थिति का विश्लेषण करने के लिए एक मेडिकल बोर्ड स्थापित करने और कोविड से पीड़ित होने के बाद से लिए गए सभी निर्णयों को शून्य घोषित करने के लिए निवेदन किया था।

बता दें कि 30 मई को दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन को ईडी ने गिरफ्तार किया था। ईडी ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा था कि उसके पास यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि सत्येंद्र जैन और उनका परिवार मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल थे। ईडी ने कहा था कि उन्होंने अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से क़रीब 1 करोड़ 60 लाख रुपये की आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है।