राजद में अपनी पार्टी को मर्ज करने वाले सांसद शरद यादव की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद नरम रुख दिखाते हुए केंद्र से आग्रह किया है कि वो उनकी अपील पर सहानुभूति पूर्वक विचार करे। केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि दिल्ली में सरकारी आवासों की कमी है और पशुपति नाथ पारस इस बंगले के खाली होने का इंतजार कर रहे हैं।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा कि वह इस मामले की राजनीति में नहीं जाना चाहती, लेकिन इस मामले का समाधान विशुद्ध रूप से मानवता की दृष्टि से करने के बारे में विचार कर रही है। अदालत ने सोमवार को केंद्र सरकार को यह बताने को कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव को मानवता के आधार पर सरकारी बंगला खाली करने के लिए कितना यथोचित समय दिया जा सकता है। वह कई रोगों का इलाज करा रहे हैं। शीर्ष अदालत ने यादव से कहा कि उन्हें हलफनामा देना होगा कि वह निर्धारित तारीख पर सरकारी बंगला खाली कर देंगे। केंद्र की तरफ से पेश एएसजी संजय जैन से कहा कि वह केंद्र से निर्देश लेकर आएं कि शरद यादव को कितना समय दिया जा सकता है।
शरद यादव की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने कहा कि उनका कार्यकाल जुलाई में खत्म हो रहा है। वह हलफनामा देने को तैयार हैं कि वह उस समय तक बंगला खाली कर देंगे। सिब्बल ने कहा कि शदर यादव को हर रोज डायलिसिस से गुजरना होता है। कोविड के दौरान उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। वह विभिन्न प्रकार के रोगों से ग्रस्त हैं। उन्होंने कहा कि वो यह नहीं कह रहे कि बंगला खाली नहीं करेंगे लेकिन इसके लिए उन्हें कुछ समय दिया जाए।
एएसजी संजय जैन ने कहा कि राजधानी में सरकारी आवास की कमी है। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद कई मंत्रियों को बंगले देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शरद यादव को राज्यसभा से अयोग्य करार दिया गया है। अयोग्यता से संबंधित उनकी रिट याचिका अधिनिर्णय के लिए लंबित है। जैन ने कहा कि शरद यादव ने अब बंगले को अपने पास रखने के लिए राष्ट्रीय जनता दल में अपनी पार्टी का विलय कर दिया है।