लोकसभा में सांसदों की बर्खास्तगी के बाद चल रहा गतिरोध सोमवार को तब खत्म हो गया जब सस्पेंशन के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित हुआ। फिलहाल सांसदों को बर्खास्त करने का फैसला वापस ले लिया गया है। सत्ता पक्ष के साथ मिलकर विपक्षी सांसद महंगाई को लेकर हो रही चर्चा में भाग ले रहे हैं।

उधर, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने सभी राजनीतिक दलों को चेतावनी देते हुए कहा कि कोई भी सांसद सदन में प्लेकार्ड्स लेकर नहीं आएगा। अगर फिर भी कोई सदस्य ऐसा करता है तो व न तो सरकार की सुनेंगे और न ही विपक्षी दलों की। उनका कहना है कि वो सांसदों को आखिरी मौका दे रहे हैं। अगली बार अगर नियम तोड़े गए तो उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।

मानसून सत्र की शुरुआत से ही इस बार दोनों सदनों में गतिरोध पैदा होना शुरू हो गया था। खाने की चीजों पर जीएसटी लगाने से लेकर महंगाई और बेरोजगारी को निशाना बनाकर विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में था लेकिन सरकार इन विषयों पर चर्चा से गुरेज कर रही थी। विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया तो सस्पेंड करने की शुरुआत पहले राज्यसभा से हुई। विपक्ष के 23 सांसदों को उच्च सदन के सभापति ने बर्खास्त कर दिया। इनमें टीएमसी के 7, डीएमके के 6, टीआरएस के 3, माकपा के 2, भाकपा का 1, आप के 3 सांसद शामिल हैं। जबकि एक सदस्य निर्दलीय है।

उधर लोकसभा से बर्खास्त सांसदों में सारे कांग्रेस से हैं। ये सभी लोग महंगाई को लेकर सदन के भीतर तख्तियां लहरा रहे थे। इन सांसदों में मनिकम टैगोर, जोथिमणि, राम्या हरिदास और टीएन प्रतापन शामिल हैं। फिलहाल इन चारों को राहत मिल गई है।

बर्खास्तगी के बाद विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में मौजूद गांधी प्रतिमा के सामने धरना शुरू कर दिया। सांसद वहां पर लगातार डटे रहे। शुक्रवार दोपहर को 1 बजे ये धरना खत्म हो गया था। जानकार कहते हैं कि राज्यसभा में तीन दिनों के भीतर 23 सांसदों की बर्खास्तगी अपने आप में एक इतिहास बन चुकी है। लोकसभा के बर्खास्त सांसदों को भी जोड़ लें तो ये नंबर 27 हो गया था।