दिल्ली नगर निगम को फिर से एक करने की तैयारी की जा रही है। तीन भागों में बंटी एमसीडी को एक करने के लिए मोदी सरकार की कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है। हाल ही में चुनाव आयोग ने होने वाले एमसीडी चुनाव को यह कहकर टाल दिया था कि केंद्र सरकार साउथ, नॉर्थ और ईस्ट एमसीडी को मिलाकर फिर से एक करने जा रही है। अब खबर है कि कैबिनेट ने भी इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है।
दरअसल 2012 से पहले दिल्ली नगर निगम एक हुआ करता था। फिर कांग्रेस सरकार के समय में इसे और बेहतर शासन के लिए तीन भागों में विभाजित कर दिया गया। हालांकि निगम के बंटवारे से और समस्या उत्पन्न होती दिखी। पूर्वी और उत्तरी निगम की आर्थिक हालत खराब हो गई और कर्मचारियों को सैलरी देना तक मुश्किल हो गया। इसके साथ ही भ्रष्टाचार के आरोप भी जमकर लगते रहे हैं। अभी तीनों ही निगमों पर बीजेपी का कब्जा है।
बताया जा रहा है कि कैबिनेट की मुहर लगने के बाद सरकार इससे संबंधित संशोधन प्रस्ताव जल्द ही संसद में ला सकती है। इस प्रस्ताव को बजट सत्र में पेश किए जाने की उम्मीद जताई गई है।
वहीं चुनाव रोक कर एमसीडी को एक करने के फैसले के खिलाफ आम आदमी पार्टी सड़कों पर उतरी हुई है। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि बीजेपी हार के डर से चुनाव से भाग रही है। अगर आज चुनाव हुए तो बीजेपी 50 सीटों पर सिमट जाएगी। आप का कहना है कि सत्ता जाने के डर से बीजेपी एमसीडी को एक करने के नाम पर चुनाव से भाग रही है। वहीं बीजेपी का कहना है कि आम आदमी पार्टी चार राज्यों में अपनी जमानत जब्त करवा चुकी है। फिर भी यहां जीत का सपना देख रही है।
वहीं एक और बात की आशंका जताई जा रही है कि एमसीडी को एक करने से सीटों की संख्या घट सकती है। साथ ही आरक्षित सीटों को लेकर भी कई तरह की अटकलें लगाईं जा रही हैं।