कई बार गलत बयानी या बिना तैयारी चर्चा में हिस्सेदारी नेताओं को महंगी पड़ जाती है। ऐसा ही होता दिखा बीते दिनों दिल्ली विधानसभा में। मौका था बजट पर चर्चा का। एक महिला विधायक आंकड़े प्रस्तुत कर रहीं थीं। सदन को बता रहीं थीं कि दिल्ली में एक हजार से ज्यादा इलेक्ट्रानिक बसें आ चुकी हैं! दरअसल एक हजार नहीं केवल एक था और दिल्ली के मुख्यमंत्री 300 इलेक्ट्रनिक बसों को निकट भविष्य में शामिल करने का लक्ष्य बता चुके हैं।
लेकिन विधायक महोदया ने सदन को एक की जगह एक हजार इलेक्ट्रानिक बसों के आ जाने की जानकारी दे डाली! चिंताजनक तो यह रहा कि सदन में यह गलत बयान ठीक नहीं किया गया और भाषण आगे बढ़ गया। बहरहाल, मामला सत्ता पक्ष का था इसलिए सबने चुप्पी साध ली। अलबत्ता विधायक मुस्कुराते जरूर दिखे। मामला विपक्ष उठा सकता था लेकिन वो पहले ही वाकआउट (बर्हिगमन) कर चुका था!
पंजाब की पुलिस
दिल्ली के बाद पंजाब की जीत आम आदमी पार्टी के लिए जैसे दोहरी शक्ति लेकर आया है। हर वक्त पुलिस का रोना रोने वाले पार्टी के नेता अब पूरी पंजाब पुलिस का अधिकार लेकर खुशी से फूले नहीं समा रहे। प्रयोग तो ऐसा चल रहा है कि पंजाब पुलिस के रजिस्टर में दिल्ली के नेताओं का नाम तेजी से भरा जा रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे एक पार्टी के नेताओं के खिलाफ हो रहे राजनीतिक हमलों को भी पंजाब से नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है।
हाल ही में ऐसे दो मामलों में दिल्ली के दो नेताओं को घेरा। ये नेता अब तक ‘आप’ नेताओं को सोशल मीडिया के जरिए घेर रहे थे तो पंजाब पुलिस ने इन्हें घेर लिया। विपक्ष के नेताओं को बेदिल ने कहते सुना, पानी सर से ऊपर चला गया है। अब पंजाब पुलिस की एक टुकड़ी दिल्ली में तैनात कर देनी चाहिए। इससे हर रोज पंजाब से पुलिस को दिल्ली आना-जाना नहीं पड़ेगा।
तैयारी पर पानी
चुनाव नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए जैसे त्योहार की तरह होता है। आने से पहले ही खूब तैयारियां होती हैं। दिल्ली में भी निगम चुनाव को लेकर हलचल थी जो अब लगभग थम सी गई है। तारीखों का एलान तब तक के लिए टल गए हैं जब तक दिल्ली के तीनों निगम एक नहीं हो जाते। इससे चुनाव होने की संभावना भी करीब एक साल तक तो टल ही गई है।
ऐसे में निगम के नेता तो निराश हैं ही साथ में कार्यकर्ताओं की भी जैसे नींद उड़ गई। निगम चुनाव की संभावना को लेकर पार्टी कार्यालयों में चहल-पहल बढ़ गई थी। देर रात तक जमावड़ा लग रहा था और बैठक हो रही थी। लेकिन अब बेदिल देख रहा है कि सन्नाटा पड़ा है। नेताओं को वार्ड कम होने की चिंता अलग सता रही है। किसी ने बेदिल से कहा, तैयारी पर पानी ऐसे फिरा है जिसका जवाब नहीं। इससे नेता और कार्यकर्ताओं का जोश तो जैसे ठंडा हो गया। हालांकि कहीं-कहीं देखा जा रहा है कि जोश और माहौल बनाए रखने की कोशिश की जा रही है।
सब गोलमाल है!
इंजीनियरिंग विभाग और ठेकेदारों के बीच का गठजोड़ बहुत पुराना है। जैसे दोनों एक-दूसरे के पूरक हों। मौजूदा दौर में मीडिया और सोशल मीडिया पर लगातार आला अधिकारियों के दौरे की खबर आ रही है। दिखाया जा रहा है कि लापरवाही बरतने वालों पर लाखों रुपए का जुर्माना लगाया जा रहा है। चिलचिलाती गर्मी में नोएडा के अधिकारी स्वच्छता सर्वेक्षण करने वाली केंद्रीय टीमों के आने से पहले खास मुस्तैदी दिखा रहे हैं। छोटे-बड़े निर्माण कार्य वाले स्थलों पर धूल उड़ती देखी नहीं कि चालान की पर्ची कट जाती है।
लेकिन बेदिल को पता चला है कि यह सब कुछ धारावाहिक की पटकथा जैसे है, जो पहले से तय है। कार्य की लागत के आधार पर अधिकारी जुर्माना लगाकर लोगों के बीच अपने सख्त रवैये को दिखाना चाहते हैं। जबकि ठेकेदार को काम लेने से पहले जुर्माने या कटौती होने के बारे में पूरा ब्योरा बता दिया जाता है। उसी के आधार पर जुर्माना तय होता है। काफी मामलों में जुर्माना केवल बयान तक ही सीमित रहता है। बेदिल को किसी ने बताया कि यह भी तय होता है कि आज साहब किस दिशा में जाएंगे।
-बेदिल