कथक नृत्यांगना रानी खानम परंपरा के साथ कुछ नवप्रयोग करने में विश्वास रखती हैं। उन्होंने ‘इन सर्च-ए जर्नी आॅफ रूहानियत’ पेश की। इसमें कथक की तकनीकी बारीकियों के साथ अभिनय का समागम था। इस प्रस्तुति में उन्होंने कबीर, बाबा बुल्लेशाह, हजरत अमीर खुसरो, मीरा बाई, ख्वाजा उस्मान हरूनी जैसे संतों की रचनाओं को शामिल किया था। सूफी रचनाओं में अमूर्त, निराकार शक्ति के प्रति प्रेम की पराकाष्ठा की अनुभूति को नृत्यांगना रानी खानम ने प्रकृति के उपादानों के जरिए रूपायित किया।

नृत्य रचना ‘इन सर्च’ तीन अंशों में विभक्त थी। पहल हिस्से में तराने, सरगम और सूफी रचना को नृत्य में पिरोया गया था। ‘नमी दानम’ के बोलों पर नृत्यांगना रानी खानम ने फूलों से शृंगार करती नायिका, फूलों की खुशबू, बारिश, चंद्रमा, नूर की चमक, मछली, भौंरे की गतिविधि के माध्यम से प्रसंगों की व्याख्या की। हस्तकों से इन भावों को दिखाना सुंदर था। वहीं रचना ‘तत् थेई तत् थेई’ के बोलों पर सोलह चक्कर के साथ पैर का काम पेश किया। वहीं, उन्होंने बारिश और उस में भींगती नायिका के भावों को चेहरे, आंखों, हस्तकों और घुंघरू के जरिए दर्शाया।

दूसरे अंश में, सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के दरबार में भक्त के भावों का प्रदर्शन था। रानी की यह प्रस्तुति मर्मस्पर्शी थी। सूफी रचना ‘जरा खोलो जी किवड़िया’ को सुहैब हसन और जोहैब हसन ने बड़े शिद्दत और रूहानियत से गाया। उनकी खुली गायकी और संगीत रचना ने नृत्य का सौंदर्यवर्द्धन किया। कथक नृत्यांगना रानी खानम ने नैनों के भावों को बड़ी नजाकत के साथ पेश किया। वहीं नायिका की तड़पन और विरह भावों का विवेचन बहुत बारीकियों के साथ किया। इसमें भाव और अभिनय का समावेश पूरी परिपक्वता के साथ नजर आया, जो कथक नृत्य में कम देखने को मिलता है। उनकी अंतिम पेशकश में होली के खेल के जरिए भावों को पिरोया था।

इसके लिए संत कबीर और बाबा बुल्लेशाह की रचनाओं का चयन किया गया था। तराना और एक नूर से सब जग उपजा में संसार की संरचना पर नृत्यांगना रानी खानम ने प्रकाश डाला। इसके साथ ही, कबीर की रचना ‘साहब है रंगरेज, चुनरी मोरी रंग डारी’ में अध्यात्म की पराकाष्ठा का विवेचन नृत्यांगना रानी ने पेश किया। अंत में बाबा बुल्लेशाह की रचना ‘होली खेलूंगी कहकर बिस्मिल्लाह’ को नृत्य में ढाला गया। इस अंश, में टुकड़े, तिहाइयों, गत निकास के साथ सलामी की गत प्रयोग बड़ी सुघड़ता से नृत्य में किया गया। इस प्रस्तुति में संगत करने वाले अन्य कलाकारों में शामिल थे-शकील अहमद, लीना सरगम और नासिर खां।