राजद्रोह के मामले में जमानत पर चल रहे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को शनिवार को एक कार्यक्रम में श्रोताओं ने बोलने नहीं दिया, जिससे उन्हें अपना भाषण बीच में ही छोड़ना पड़ा। कन्हैया ने देशभर में राष्ट्रवाद पर बहस छेड़ी थी। उन्हें इस साल फरवरी में एक कार्यक्रम में कथित रूप से राष्ट्रविरोधी नारे लगाने के बाद राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। शनिवार को उन्हें इंडिया टुडे माइंड रॉक्स सम्मेलन में हिस्सा लेना था और आजादी पर अपना विचार रखना था, लेकिन जब वे मंच पर पहुंचे तो लोग उन्हें हूट करने लगे, जिस पर कन्हैया ने भी चुटकी ली। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि जो यहां हूट कर रहे हैं वे भी ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं।

देश में आजादी है। आप पर राजद्रोह का मामला नहीं लगेगा। जेल का अपना अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि जेल में रहने में क्या बुराई है? महात्मा गांधी और भगत सिंह भी जेल जा चुके हैं। जब कन्हैया से पूछा गया कि क्या वह जेल जाना ‘शान’ समझते हैं तो उन्होंने कहा कि यह दुनिया हममें से बहुतों के लिए जेल है। जब लड़कियों को रात में बाहर नहीं जाने दिया जाता तो वे जेल में हैं, जब लोग बेरोजगार हों और फुटपाथ पर रहते हों तो वो जेल में हैं। ऐसे में बड़ी जेल (दुनिया) की तुलना में छोटी जेल में रहना बेहतर है। कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले कन्हैया ने एक बार फिर उन पर निशाना साधते हुए कहा कि आज उनका जन्मदिन है, लेकिन आधे लोग सड़कों पर हैं और अन्य जेलों में। इस पर खुशी क्यों मनाएं? अगर देश की 65 फीसद आबादी युवाओं की है तो 65 साल का व्यक्ति उनका नेता कैसे हो सकता है? मोदी के बारे में उनकी यह टिप्पणी कई श्रोताओं को नागवार गुजरी और वे मोदी के पक्ष में नारे लगाते हुए कन्हैया को हूट करने लगे।

जब उनसे पूछा गया कि क्या जेएनयू में नौ फरवरी को हुई नारेबाजी देशद्रोह है तो कन्हैया ने कहा कि नारेबाजी देशद्रोह नहीं है? कोई भी गतिविधि जो देश को तोड़े या ऐसा करने का प्रयास करे, वो देशद्रोह है। नारे कभी देश नहीं तोड़ते। भारत इतना कमजोर नहीं है कि वह किसी के नारों से विभाजित हो जाएगा या टुकड़ों में बंट जाएगा। इसके बाद श्रोताओं की ओर से रुकावट डालने के कारण कन्हैया को अपना भाषण बीच में ही छोड़ना पड़ा।