दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जीतेंद्र सिंह तोमर की पुलिस हिरासत यहां की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस के इस दावे के बाद दो दिन के लिए बढ़ा दी कि उनकी ओर से पेश किए गए दस्तावेज फर्जी हैं और मामले में भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत भी आरोप लगाए जाने चाहिए।
पुलिस सूत्रों की मानें तो तोमर मामले में विश्वविद्यालय स्तर पर मिलीभगत का बड़ा खुलासा हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली की अपराध शाखा के एसीपी एसपी त्यागी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम ने शनिवार को दूसरे दिन भी बिहार के तिलकामांझी विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग के दर्जन भर कर्मचारियोंसे पूछताछ की। इन कर्मचारियों के सौ से अधिक हस्ताक्षरों के नमूने लिए गए हैं। पूर्व परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र प्रसाद सिंह पर भी पुलिस का शिकंजा कस गया है। पुलिस उन्हें दिल्ली बुला सकती है।
मामले में नौ जून को गिरफ्तार किए गए 49 साल के तोमर को उनकी चार दिन की पुलिस हिरासत खत्म होने पर मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पूजा अग्रवाल के समक्ष पेश किया गया और जांचकर्ताओं ने यह कहकर उनका रिमांड 11 दिन के लिए बढ़ाए जाने की मांग की कि पूर्व में दिया गया समय ‘पर्याप्त नहीं’ था। पुलिस ने यह भी कहा कि यह पता लगाने के लिए भी तोमर की पुलिस हिरासत जरूरी है कि फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र हासिल करने में उनके साथ किन लोगों की मिलीभगत थी। इसने अदालत से कहा कि तोमर की ओर से पेश किया गया हर दस्तावेज फर्जी है और यह जांच किए जाने की जरूरत है कि किन लोगों की मिलीभगत से तोमर ने ये दस्तावेज हासिल किए।
पुलिस ने यह भी कहा कि मामले में ‘प्रथम दृष्टया’ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत भी आरोप लगाए जाने की संभावना है। इसने आरोप लगाया कि तिलका मांझी विश्वविद्यालय का रिकॉर्ड फाड़ दिया गया जिससे तोमर के साथ विश्वविद्यालय के अधिकारियों की मिलीभगत का पता चलता है और इसके चलते भ्रष्टाचार रोधी कानून के तहत आरोप लगाए जा सकते हैं। पुलिस ने कहा कि बहुत से दस्तावेजों की जांच की जानी है और पूर्व में दिया गया चार दिन का रिमांड पर्याप्त नहीं था क्योंकि तीन हजार किलोमीटर से अधिक की यात्रा करने में लगभग 45 घंटे निकल गए।
जांच का ब्योरा देते हुए पुलिस ने कहा कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से जारी तोमर का माइग्रेशन सर्टिफिकेट भी फर्जी है और हमें वहां जाने व इस कोण की जांच करने की आवश्यकता है। पुलिस के आग्रह का विरोध करते हुए तोमर के वकील राजीव खोसला ने कहा कि पुलिस पहले ही सभी स्थानों पर जा चुकी है और दस्तावेजों को कब्जे में ले चुकी है। खोसला ने कहा कि तोमर का स्वास्थ्य ठीक नहीं है और रिमांड बढ़वाने का एकमात्र उद्देश्य उन्हें प्रताड़ित करना है क्योंकि पुलिस पूरी तरह से पक्षपाती है और किसी के इशारे पर काम कर रही है।
अदालत में मौजूद तोमर ने अदालत से कहा कि पुलिस उन्हें प्रताड़ित कर रही है वे सभी दस्तावेज पहले ही बरामद किए जा चुके हैं, इसलिए पुलिस रिमांड बढ़ाए जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि चार दिन की हिरासत के दौरान उनके वकील को उनके साथ मौजूद रहने की अनुमति नहीं दी गई। तोमर ने आरोप लगाया कि सभी रजिस्टर और दस्तावेज जब्त व हस्ताक्ष्रित कर लिए गए, लेकिन मुझे उन्हें देखने की इजाजत नहीं दी गई।